भारतीय रिजर्व बैंक की १९६१ से मौद्रिक एवं साख नीति की समीक्षा - कृषि क्षेत्र के विशेष सन्दर्भ में | A Review Of Monetary And Credit Policy Of RBI With Special Reference To The Agricultural Sector Since 1961

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सारणी । । कुल कृषि साख मे गैर - सस्थामत स्रोतों का भाग वर्ष कुल योग का प्रतिशत 1951 - 52 93 6 1961 - 62 85 0 1971 - 72 75 0 1978 - 79 65 0 स्रोत - रिजर्व बैंक आफ इण्डिया, मल्टी एजेन्सी एप्रोच इन एग्रीकल्चरल फाइनेन्स, ।978 इसमें कोई सन्देह नहीं है कि 1955 से, जब इम्परियल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक में पारिवर्तित हुआ तथा उससे कृषि - वित्त की बढती हुई माग को पूरा करने के लिए कहा गया और विशेषकर 1968 में व्यापारिक चैंकों पर नियत्रण तथा ।969 मे देश के चौदह बडे व्यापारिक बैंकों एव ।980 मं अन्य छ व्यापारिक वर्को के पुन राष्ट्रीयकरण के बाद (ये 20 राष्ट्रीकृत बैंक देश के कुल र्वेकिग व्यावसाय का 90 से 95 प्रतिशित पूरा करते है) कृषि वित्त के क्षेत्र भ सस्थागत साख (व्यापारिक बैंक तथा सहकारी समितिया एवं अन्य विशिष्ट सस्थाए) में उल्लेखनीय प्रगति हुई । इस प्रकार सस्थागत साख, जो 1951-52 में लगभग 6 प्रतिशत थी, वह 1978-79 में बढकर 35 प्रतिशत हो गयी । एक अनुभव के अनुसार, वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में आवश्यक कुल अल्पकालीन साख का लगभग 56 प्रतिशत तथा सभी विनियोग सस्थागत सस्थाओं द्वारा पूरा किया जा रहा है ।




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