अमरीकी संगीतकारों की जीवन कहानियाँ | Amriki Sangetkaron Ki Jivan Kahaniyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ক मात्र ऐसा संगीत था जिसे न्यू इंग्लेंड में लगभग सो वर्षों से अपनाया गया था! प्यूरिटन सम्प्रदायी (पिलग्रिम) उन साम्स (धर्मगीतों) को ऐसे छन्दबद्ध कर लेते थे कि वे सब मिलकर सरलता से गा सकते थे। उनके इस अज्ञात संसार में आने से कुछ वर्ष पूर्व ही उनकी संगीत की पुस्तक हालेण्ड में छपी थी। पिलग्रिम-टयून की झोल्ड हण्ड्रेडथ नामक पुस्तक ही' उन साम्स (धर्म- गीतों) की वह प्रथम पुस्तक है जिसमें ऐसी टयूनें हैं जिन्हें श्राज भी हम जानते हैं और गाते हैं। इस पुस्तक का यह नाम इसलिये दिया गया कि उन्होंने सौंवें साम के मीटर के क्रम के अनुसार उसे रखा था। अब इस पुस्तक को स्तुति के लिये (उक्सोलाजी के लिये) प्रयोग मे लते हैँ। यदि श्राप उन साम्स को स्वयं गायें तो आपको एेसा लगेगा कि इनमे रि नहीं है। यह मोडल साम टूयून है । इसका प्रथं यह्‌ है कि यहु बहुत पुराना संगीत था जिसे पिलग्रिमों ने अपनाया था और जिसका उद्भव मध्यकालीन युग के प्लेत चेप्टे (स्पष्ट राग) से हुआ था । उस समय केवल यही संगीत था जिसे लिपिवद्ध किया गया था (जिससे आज हम उसका अध्ययत कर सकते हैं) और गिरजाघर में लोग इस संगीत का उपयोग करते थे। प्रारंभ में पादरियों का यह विश्वास था कि रिह का गिरजाघर में कोई स्थान नहीं है! उनके लिए रिहा सांसारिक थी और उनकी मूल प्रवृति संमवतः ठीक ही हो क्योकि जब हम विशेष रिदह्य को सुनते हैं तो इसके प्रभाव से नाचने का मन होता है, हम अपने पैरों को थपथपाने लगते हैं श्रौर अपने कंधों को हिलाने लगते हैं (और यदि आप पिलिग्रम फादर के संबंध में ऐसा करते हुये अनुमान करें तो आप हंस उठेंगे।) एक अभिलेख से ऐसा विदित होता है कि साम-सिंगरों (धर्मंगीत गायकों ) के एक छोट दल ने जो संगीत श्रपनाया था, उसको किसी দিলগিজ (प्यूरिटनं सम्ध्दायी) ने ही लिपिबद्ध करिया था । इस वात का सहज अनुमान हो सकता है कि उन सभी के लिये वह समय कितना गंभीर था जव वे उचो के लीडिनं




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