स्वामी विवेकानंद एवं डा० एनीबेसेन्ट के शिक्षा - दर्शन का तुलनात्मक अध्ययन | Swaami Vivekanand Evam Dr. Eneebesent Ke Shiksha - Darshan Ka Tulnatmak Adhyyan

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by राम शकल पाण्डेय - Ram Shakal Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ओर आडम्बर से घृणा करते है और पुरानी पीढी का जबरदस्त विरोध करते है। ऐसे युवकों को आवश्यकता है गतिशील, तेजोमय, पवित्र, साहसी, सत्यनिष्ठ और निभीक व्यक्तित्व वाले स्वामी विवेकानन्द एवं डा0 एनीनेसेण्ट के आह्वान एव स्देश की। जिसमें उन्होंने राष्ट्र के उत्थान एव विकास के लिए सदचरित्र वाले प्रेम, निष्ठा और धैर्ययुक्त व्यक्ति बनने का आह्वान किया था। उन्होंने जीवन का अर्थ विकास अर्थात्‌ विस्तार अर्थात्‌ प्रेम बताया। दूसरों की भलाई करना जीवन है और परोपकार न करना मृत्यु। जीवित मनुष्य तो केवल वे है जो दूसरों से प्रेम करना जानते हैं। प्रेम ही वह शक्ति है जो तृप्ति देती है तथा सच्चरित्र ही कठिनाइयों की दुर्धर्ष दीवारों के बीच से अपना मार्ग बनाता है। आज भाई-भाई के बीच घृणा के भाव अंकुरित हो गए हैं। देश में अलगाववादी एवं आतंकवादी प्रवृत्तियाँ पतप रही है, भौतिकवादी सभ्यता अपना नग्न रूप प्रदर्शित कर रही है। ऐसे समय मे आवश्यकता है इनं सब प्रवृत्तियों को स्वामी विवेकानन्द एवं डा0 एनीबेसेन्ट के अमृतरस से समाप्त करने की।




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