हनुमतचरित् | Hanuman Charit
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.13 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सतीश चन्द्र उपाध्याय - Satish Chandra Upadhyay
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हनुसतचरित / 9 सूचना दी। इसी प्रकार कऋग्लेद के दसवें मण्डल के 53 सूच के सातनें मंत्र में वर्णन अता है कि ब्रह्मपाश में बँधजाने पर थी श्री हमुसान में कोई परवाह सही की तब ब्रह्ममाश का अपमान न हो इसलिए देवतागण श्री रामदूत की श्रार्थवा करने लगेः- अकान हो नहात नोत सोम्या इष्क़ुणध्वं रशनाओत पिशतों अष्टाबन्घुरं बहताशितों रथ येन देवासो अनयन्नर्मिं प्रियसो अर्थात् हे भगवदुभक्त परम वैष्णव श्री हतुमान जी महाराज आपको बाघने आया राक्षस अक्ष स्वयं ही मृत्युपाश में बंध गया। आप कृपा कर इस म्रह्ममाश बन्घन को अभी मान लीजिए। बाद में चाहे इस ब्रह्म पाश को खण्ड - खण्ड कर डालियेगा। दो हांथ दो पांव दो कन्थे और दो इन्दियाँ इस त्तरदह आठ जगह बँधे हुये अपने रथ शरीर को इस लंकापुरी में ले जाइये जिससे देवतागण अपना अभीर प्राप्त करें अर्थात् आपके लंका में जाने से देवताओं को सुख होगा? आधुनिक इतिहास वेत्ता इस सम्बन्ध में यह प्रश्त उठाने का प्रयत्न कर सकते हैं कि वैदिक वाइमय पूर्ववर्ती है जब कि रामायणकाल बाद का है। श्री राम के सम्बन्ध में सर्वश्रथम वाल्मीकि ने लिखा और यह कथा आती है कि श्री राम .वाल्सीकि से मिले थे। अतः इतिहासकारों को यह शंका होती है कि वेद में श्री हतुमाम के सम्बन्ध में मिलने वाले सम्देर्भ प्रक्षिस तो नहीं है। परन्तु यहाँ यह उल्लेखनीय हैं कि ऋग्वेद मंत्रों का एक संकलन संहिता है जिसके द्वारा यज्ञों के अवसर पर देवताओं की स्तुति कीं जाती थी। ऋग्वेद के रचनाकाल के विषय में विद्वानों में मतभेद है। मैक्समुलर सकी तिथि 1200 से 1000 ई०पू० मानते हैं। जैकोनी ने इसका रचनाकाल 4500 ई० पू० बताया है। बाल गंगाघर तिलक ऋग्वेद के घाचीनतम बंश को 6000 ई०पू० के आस-पास मानते हैं परन्तु आधुनिक विद्वान इतनी श्राचीन तिथि में विश्वास नहीं करते। वेदों को सामान्यतः 1000 ईसा पूर्व में रचित माना ना सकता है। पारजिटन नामक विद्वान के अनुसार श्री राम 5000 ईसा पूर्व के पहले थे। स्पष्ट है कि श्री राम का अवतार वैदिक वाइमय की रचना के लहुत पहले छो चुका था। पुराणों के असुसार सृष्टि का काल विभाजन सतयुग त्रेतायुग द्वापर युग और कलियुग में किया गया। श्री राम त्रेता सुंग में अवतरित छुये। वैदिक वाडमय बहुत बाद में विरचित किया गया। अतः वेदों में श्री. राम का
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