क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का योगदान : जौनपुर जनपद के विशेष सन्दर्भ में | Shetreeya Grameen Bankon Ka Yogdan:Jonpur Janbpad Ke Vishesh Sandarbh Mein

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(9) अपने करोडो निवासियों की मूलभूत आवश्यकताओ की पूर्ति और जीवन स्तर को ऊँचा उठाना था। सन 1957 मे भारत के रिजर्व बैक के गवर्नर भी आयगर ने कहा था कि पिछले चालीस वर्ष की अवधि के दौरान गरीबी अपने उच्च शिखर पर बनी रही और लोग उन्ही आदि कालीन दशाओ मे बने रहे जिनमे उनके पूर्वज रहते थे । यही तथ्य भारतीय उपमहाद्वीप के लाखो गॉवो के बारे मे भी सत्य है। इस देश मे हाल ही मे विकास कार्यक्रम प्रारम्भ किये गये है। इस गरीबी और पिछडेपन की स्थिति को दूर करने के लिए योजनाबद्ध विकास के मार्ग को अपनाया गया है ताकि कृषि उद्योग व यातायात आदि सभी क्षेत्रो मे विकास हो सके | भारत कृषि प्रधान देश है जहा की अधिकतर जनसख्या गॉवो मे रहती है अत ग्रामीण विकास मे ग्रामीण साख का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। सम्भवत इसी कारण से रिजर्व बैक ने आरम्भ से ही कृषि साख विभाग की स्थापना कर दी थी इस विभाग को निम्न कार्य सौपे गये थे 1 कृषि सगठन के सम्बन्ध मे रिजर्व बैक राज्य सहकारी बैक तथा अन्य वैको की क्रियाओ मे समन्वय स्थापित कराना | 2 ग्रामीण, ऋणग्रस्तता, ग्रामीण वित्त सहकारिता आदि से सम्बन्धित कानूनो का अध्ययन करना तथा उन पर अपना मत प्रकाशित करना । 3 कृषि साख की समस्याओं के अध्ययन के लिए विशेषज्ञ कर्मचारियो का दल रखना जो आवश्यकता के समय केन्द्रीय सरकार.राज्य सरकार या सहकारी सस्थाओ को परामर्शं दे सके। रिजर्व बैक आफ इण्डिया ने सन 1951 मे अखिल भारतीय ग्रामीण साख सर्वेक्षण हेतु एक गोरवाला समिति नियुक्त की थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सन 1954 मे प्रस्तुत की और सुझाव दिया कि देश मे ग्रामीण साख की उपयुक्त व्यवस्था करने के लिए एक राष्ट्रीयकृत बैक की स्थापना




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