चींटी-चींटो की दुनिया | Chinti-Chinton Ki Duniya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चींटी-चीटों की दुनिया ११
पिपीलिका की जातियाँ इसके विपक्ष ऐसी भी होती हैं जो दीमकों
के विबर में आश्रय लेकर उनकी रक्षा के लिए अन्य पिपीलिका
जातियों से मुठभेड़ करती हैं। भाड़े के सेनिक समान रहकर वे
दीमकों दास आहार प्राप्त करती है|
आकार की दृष्टि से पिपीजिकाओं में इतनी अधिक बहुरूपता
है कि आश्चये होता है | कुछ चीटियोँ == इञ्च लम्बी ही होती दै
किन्तु कुछ बड़े आकार की पिपीलिकाएँ (चीटे) उद् श्र लम्बी
होती हैं | कुछ को इतने अधिक आयुधों से सम्पन्न पाया जाता है
कि उन्हें कछुबों का सा भारी रूप मिल्ला होता है परन्तु कुछ ऐसी
हल्की होती है कि तीत्र गति से दोड़ने पर भूतल से उठ सी
जाती हैं
पिपीलिकायों की विभिन्न श्र णी एक जाति में ही होने से हम
श्रेणीविभाग या वर्णेव्यवस्था का जो रूप पाते हैं उसमें एक
श्रेणी श्रमिकों की होती है । वे प्राय: शिखंडी या नपंसक मादा
पिपीलिकाएँ होती हैं । उनका कार्य केवल जन्म धारण कर जीवन
भर सेवा-ब्रत धारण किए रहना है । दूसरी श्रेणी मादा की होती
है जो अण्डे देकर संतान उत्पन्न कर सकती है। इसे “रानी” नाम
से प्रसिद्ध पाया जाता है। तीसरी श्रेणी नर पिपीलिकाओं की
होती है । ये तीनों ही श्रे शियाँ अधिकांश जातियों की पिपीलिकाओं
में होती हैं ।
रानी पिपीलिका के संबंध में एक मिथ्या धारणा पाई जाती है
कि प्रत्येक विवर के पिपीलिका-समाज मे केवल एक रानी होती है,
किन्तु यह खोजों द्वारा असत्य सिद्ध हुआ है। मधुमकज्षिकाओं में
एक ही रानी पाई जाती है | उड़ाकू जीवन व्यतीत करने के कारण
मधुसक्षिकाओं का निर्वाह एक रानी से हो सकता है। उनका
बिवास उँचे स्थलों, वृक्षों आदि पर होने से छत्ते के नष्ट होने का
User Reviews
No Reviews | Add Yours...