भारतीय कृषि की आर्थिक समस्यायें | Bhartiya Krishi Ki Arthik Samasyayen

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Book Image : भारतीय कृषि की आर्थिक समस्यायें  - Bhartiya Krishi Ki Arthik Samasyayen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( & ) मितम्यय के दृष्टिकोण से सुधार, सीमा-निर्ार्ण तथा श्रान्दोलन करने पडंगे । दस तरह श्राय चक्कियां पर देहाती च्ेचां मे प्रतिबेध लगाया जा सकता है क्योकि इनसे पिसा हुआ आठ पौष्टिक तत्वों से विहीन हो जाता है | श्रौर कानून द्वारा चावल पर पालिश को नियंत्रित किया जा सकता है*। इसी तरह सरकार कुछ खर्चीले रिवाजों और चलनों पर रोक लगा सकती है जैसा कि बरोदा प्रदेश में यह संतोषजनक परिणाम के साथ किया जा चुका हैर। : वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर यह कहा जाता है कि हाथ की चक्की से पिसे गेहूँ के आटे के रासायनिक तत्वों की तुलना में मशीन से पिसे हुए टे में गेहूँ के भसी या छिलके का ही केवल नुकसान होता है। परन्तु यक्तिगत अनुभव से यह कहा जाता है कि अन्य अकार की च्तियाँ লী ই। जब कभी भी मशीन से पिसे चने के आटे की पकीड़ियाँ बनाई जाती हैंतो ' उनका आन्तरिक भाग पूणं रूप से पके बिना स्वादहीन कड़ा रह जाता है | हाथ की चक्की से पिसे चने के आटे में आन्‍न्तरिक भाग खोखला हो जाता है तथा कच्चेपन का स्वाद नहीं रहता | इससे यह ज्ञात होता है कि केबल रासायनिक विश्लेषण ही पर्याप्त नहीं है | मशीन के आटे के संबंध में यह पता लगाना चाहिए कि वह कहाँ तक पचता है. तथा कहाँ तक शरीर में लगता हैं | इसका भी अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि हाथ की चक्कियाँ विशेषकर ओरतों के लिए अच्छे व्यायाम का भी अवसर देती हैं | यदि हाथ की चक्कियों का स्थानः मिल चक्कियाँ ले लें तो व्यायाम की समस्या विशेषकर विवाहित चर्यो के लिप्‌ पैदा हो जाती है | २ चावल की मिलों पर ट्रावनकोर में प्रतिबंध लगा दिया गया है | यह सम्भव है कि चावल के पालिश को इस तरह नियंत्रित किया जाय कि चावल की पोष्टिक परत नष्ट न हो जाय | इस दिशा में जनता को इतना शिक्षित होना पड़ेगा कि वे पात्निश किए चावलों की माँग कम कर दें | यदि पालिश किये चावल का उत्पादन कम कर दिया जाय तो यह परिवतन शीघ्रगामीः हो सकता है | ३ इस तरह यदि एक सदस्य जातिगत प्रथा के अनुसार जातिभोज नहीं देता. है तो उसको जाति-वहिष्कृत नहीं किया जा सकता ((-2516 (205 4১০0 ॥




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