प्रार्थना-प्रवचन पहला खंड | Prarthna-Pravachan Pehla Khand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४ प्राधना-प्रत चन, गांधीजी फिर मंचके कितारेपर श्रा। । लीगाते उन वि. प्राप प्रार्थना कीजिए | शोर मचानेवालोंको हम খান টি देते | শর बै>जायेंगे । आपके साथ हम सब मरनेकी लबार /। श्राप पाता ने छोड़ें । गांधीजीने कहा--आ मरे नो मरी मने मर, प्रतत सपमे नत] मरमेका इल्म मँ जीवनभर सिखाना प्राया है और सीख रहा है 1 मरना हो तो इस तरह गुस्सेमें खौलने हुए नहीं मरना माहिष्‌ 1 दता तातन मरना चाहिए। इस समय ये लोग गलतफटमीम द) ब समन # कि गांधी ही यह सब कुछ बिगाड़ता फिरता हैं। হনলি एल वत्नी शांतिकों ही मेरी प्रार्थना सर्मभकिए । में जानता है कि पजाबक कारण सबका खून उबल रहा हैं। क्या मेरा खून नहीं उबल रहा # / मर दिलमें भी तो आग धधक रही हे। में पंजाबकी समस्या गहीगरी समभता हूं । पंजाबी सब मेरे भाई हे । ने इस समय गरस मन! । पर शांत होना चाहिए। बिहार भीर गुर्सेस भर गवाब्या । उसकी गरसा मेने रोका,है । इस समय गरसेकी रोककर ही हमे प्राग बढ़ सकते । उन दो-चार आदमियोंकों पुलिस লো নয) उत्तकोी এনা के बाद में कंसे प्रार्थना कर सवाता ह? वर मव मद्रा फिर प्रपि शांतिसे बठे और तबू हम, सब मिलकर, प्रायना कर ओर इस समय जो चल रहा है उसे रोकनेकी आल साोचतम দা तो में शक्ति खपा रहा हूं । क्या में बाइगारावा, न्वॉय गाना खानेके लिए जाता हूं ? हम दोनों मिलकर इसमेंसे रह्मा निकाल रहे ह । इस सारी गड़बड़कों रोकनेके लिए मास ज्यादा वह গহনা ও शोर उन्हें परेशान हीना-भी चाहिए.। आखिर भें फिर कहता है, प्राय घान हो जाइए । शांति छ्ली प्राथना है। उनको जबरन रोका जाये, गे में ने नहीं सृहाता । ^ +^ এ इतना” कहकर गांधीजी जाने लगे तो तीसरी পাত लागान শি) उन्हें रोका और कही; आप उन थोड़ेसे आद्सियाद्ी आस बयों सनने ... हैं,जो बेकार रोड़ा श्रटका रहें हैं? ग्रसलमें उन लोगनि कछ भगता मी नहीं है। हम लोग हैँ, जिन्होंने पंजाबमें भुगता है, जिनके ऊपर গিলন




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