यातायात का सरल अध्ययन | An Approach To Transport

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An Approach To Transport by ए . पी . मिश्रा - A . P . Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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12 + 3 77:03 ८ प्र 70 पफ़&४5एशणश' विभाजन बुटिपूर्णा माना जा सकता है। भौर यदि यह विभाजन यातायात की भिन्न- क्रिन्न इकाइयों में समता के आधार पर किया जाय तो यह विभाजन विशेष व्यय के ग्रनपात से किया जा सकता है। परन्तु यह प्रणाली विवादपूर्ण ही है और विशेषज्ञों के मतनसाश बहन तो स्यायोचित है, न व्यवहार में लाने योग्य। साथ-ही-साथ, किसी भी ट्रैफिक का वास्तविक व्यय का पता लगाना बृहुत ही वर्ठिन काम ज्ञात होता है| ब्रभी तक्क ऐसा कोई भी वैज्ञानिक उपाय हृष्टिगोचर नहीं हुआ जिसके सहारे सामान्य व्यय को यातायात की विभिन्न इकाइयों में उचित रूप में बाय जा सके) ^ 0.4. 10550115 25 0181৮ (2४05. एएॉफ्देंटवे 10 स्मारणम्‌ ৩3০৩150101৩. ৩0000 ০5০81197655 56০৮৮ (0500. रेल-व्यय में विशेषकर निम्तांकित मर्दे सम्मिलित होती हैं:--- १ - सामान्य व्यय (0676४ (1४7४८७) :--इस व्यय में संचालकगणा को दिया जाने वाला वेतन, मःय प्रवन्धक्, सेक्रेटरी, एकाउपण्टेण्ट, आडीटसे तथा हैड क्वार्टर्स के कल आदि अन्य कर्मचारियों कां वेतन सम्मिलित रहता है। इसी में कानूनी व्यय, प्रबन्ध सम्बन्धी व्यय, बीमा खर्च, हिस्सेदारों तथा अन्य लोगों के साथ पत्र- व्यवहार झादि का व्यय सम्मिलित किया जाता है। इसके अन्तर्गत आने वाला सम्पूर्गा व्यय इस प्रकार का होता है कि इसका रेल की आय तथा रेल-सेवा की माँग से कोई सम्बन्ध नहीं होता, अतः यदि यातायात अधिक रहे तो रेलवे कम्पनी को लाभ होने लगता है, क्योंकि इस व्यय में वृद्धि नहीं करनी पड़ती और यदि यातायात कम हो जाय तो रेल कम्पनी को हानि होने लगती है, क्‍्योंक्रि इस व्यय में कमी नहीं की जा सकती । २--मार्ग और ঙ্গলী নহ হম (41006020059 আ৪৮ 8009 ০৫15) यह व्यय भी ऐसा होता है कि टुफिक्र की घटती व बढ़ती के साथ इसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता । यद्यपि मार्ग वे भवनों के अधिकाधिक उपयोग से उनकी रक्षा प्रथवा मरम्मन का व्यय बढ़ जाता है, परन्तु इतना नहीं बढ़ता जितना कि ट्रैफिक बढ़े । इस व्यय की वृद्धि के मुख्य कारण वास्तव में प्राकृतिक होते हैँ । जलवायु, वर्षा अ!दि के कारण इन वस्तृओ्रों को जो क्षति पहुँचती है, उसको ठीक करने के लिए यह व्यय्‌ प्रावग्यदोय द्रोनः हैं।यह व्यय स्थायी मार्ग के जीणोॉडार और नव-करण करने में, मकानों, गोदामों तथा स्टेशनों की मरम्मत करने में, पुल, सुरंग, सिगनल आदि को ठीक रखने में और मार्ग की देख-रेख रखने में फिया जाता है। इस प्रकार यह व्यय प्रायः वही रहता है चाहे ट्रंफिक कम हो या अधिक । यह अवश्य है कि সনিক্ক ट्रैफिक होने से इनमें घिसावट आ जाती हैं। कभी-कभी मर्ग की सफाई का व्यय बढ़ सकता है, गाड़ियों के चलने से जोड़ ढीले पड़ सकते हैं, सड़क की रोड़ी पादि हट सकती है, परन्तु इन सब में, इस झनुपात से व्यय अधिक नहीं होता जिस भ्रनुपात से 7 फिक बढ़ता है। इसी प्रकार वर्षा ऋतु के उपरान्त मार्ग साफ तथा ठीक करने में जो व्यय होता है उसका ट्रॉफिक की मात्रा से कोई सम्बन्ध नहीं । ; एए व्यय भी “मा ही है कि जिसके कारण अधिक ट्रफिक के बढ़ने से रेल कम्पनी ক্ষার धर्‌ क्रमःगत वृद्धि नियम का लाभ प्रात होता है। ३--{11311६४०१८६ ग ०1170 50८४ :-.इस मद के अन्तर्गत उस माल पर শি उनका = क है अंग्रेजी সি সী রঙ হস 5৯ +০ घनराक्षि सम्मिलित होती है, जो अंग्रेजी में 7011178 ४००४८ के नाम से ৫ ६ 8 > जीन १५ ॥ का जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के डिब्बे, इंजन इत्यादि सम्मिलित होते




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