इस्लाम धर्म की रूपरेखा | Islam Dharm Ki Rooprekha
श्रेणी : इस्लामी / Islamic
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
165
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ८ |
बात से अबूतालिब का चित्त इतना द्रवित हुआ कि, वह अस्वो-
कार न कर सके, ओर साथ ही मुहम्मद को भी लेकर शामः
की ओर प्रस्थित हुए । इसी यात्रा मै बालक ने खीष्ट-तपोधेन
बहेरा? का प्रथम दशन पाया ।
विवाह
जन-प्रवाद है कि असाधारण प्रतिभाशाली महात्मा मुहम्मद
आजीवन अक्षर-ज्ञान से रहित रहे । व्यवहार-चतुरता, ईमान-
दारी आदि अनेक सद्गुणो के कारण, कुरैश-वंश की एक
समृद्धि-शालिनी खी खदीजाः ने अपना गुमाश्ता बनाकर, २५
वषे की अवस्था मँ नवयुवक मुहम्मद से (शामः जने की प्राथना
की । उन्होंने इसे स्वीकार कर, बड़ी योग्यतापूबंक अपने कर्तव्य
का निवोह किया। इसके कुछ दिनों बाद “खदीजा' ने उनके
साथ ब्याह करने की इच्छा प्रकट की | यद्यपि 'ख़दीजा' की
अवस्था ४० वषे की थी ; उनके दो पति पहिले मर भी चुके थे ;
किन्तु, उनके अनेक सद्गुणो के कारण महात्मा मुहम्मद ने
इस प्राथना को स्वीकार कर लिया ।
तत्कारीन मूर्तियां
हुब्ल', लात, मनात्', उज्ज़” आदि भिन्न भिन्न अनेक देव-
प्रतिमाएँ, उस समय अरब के प्रत्येक क़बीले में लोगों की इष्ट थीं ।
हूत पुराने समय मे वहां मूर्तिपूजा न थी । अमरः नामक कावा
के एक प्रधान पुजारी ने शाम” देश में सुना, कि इनकी आरा-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...