उपन्यासकार वृन्दावनलाल वर्मा | Upnyaskar Vrandavanlal Verma

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Upnyaskar Vrandavanlal Verma by शशिभूषण सिहल - Shashibhushan Sihal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~ १५ ~ (ब) पात्र कै श्राकषंणा का रहस्य १६५ (स) पात्रों का स्रोत १९८ (द) स्थूल चरिम-रेखाये १६६ (इ) वर्माजी की चित्रण-ऊला और विकास २०० प्रध्याय ५, व्माजी के उपन्यासो मे कथोपकथनं २०३ कयोपकथन श्र श्रपेक्षित गुण २०५ वर्माजी के सवादो भे नाठकीयता २०६ बर्माजी के पैने सवाद २१३ वर्माजी के भावानुकूल सवाद (श्र) प्रणय २१७ (ब) क्रोधावेश २२२ वर्माजी कै युवती-वार्तालाप २२४ वर्माजी फे उपन्थामो मे लोकभाषा का प्रयोग २२५ स्मि फे मुसलमान पत्रो की श्रस्वाभाविकः भाषा २२९७ লিজেন २२६ अध्याय ६, वर्माजी के उपन्यासों मे बातावरण-सृष्ठि २३३ वातावरण २३५ बुन्देलखण्ड २३६ वर्माजी के बुन्देशखण्डी उपन्यास २३८ (वर्माजी के उपन्यासों मे) राजनीतिक उयल-पुथल श्रौर समाज २३८ ऐतिहासिक परिस्थितियाँ, २३९ सामाजिक परिस्थिति णौर मनोवृत्ति २४१ त्योहार २४२३ रीति-रिवाज চি प्रकृति श्रौर वर्माजी २४५ (वर्माजी द्वारा) भौगोलिक विवरण २४६ प्रकृति-चित्र २४७ लम्बेवर्णत २५१ प्रकृति का शुष्क पक्ष २५२ तिष्व २५३




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