सरल शरीर विज्ञान | Saral Sharir Vigyan

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Saral Sharir Vigyan नारायणदास बाजोरिया  by नारायणदास बाजोरिया - Narayandas Bajoria

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हमारे शरीरकी रचना | श्ारके क्रिसी व्यक्तिने पते को उठाकर कहीं रख दिया । पर यदि चूदेको पकडकर भाप उसी ताखपर रख दे तो भाप देखेंगे 'कि आपके हाथसे वह अलग हुआ कि रंग भागा।. चद्द श्षण भरके लिये भी स्विर नहीं रद सकता । पर यदि चही चूहा ज़मोनपर या भर कहीं रख देनेके वाद भी न दिले डोले तो समक लीजिये कि चदद मर गया है, उसमें जान नहीं रह गई है। ... पर आजकल चाजारमें रेलगाड़ी आदि अनेक तरहके खिलोने विकते हैं: जो आपसे आप चलते हैं। रेलगाडीमें ताली दे' दीजिये और घद्द दौड़ पड़ेगी । पर जहा ताली खनम हुई वहीं वद रुक जायगी । फिर उसे आगे चढ़नेका साहस नहीं । यदि आप उसे फिर दौड़ाना चाहते हैं तो फिर ताछी भरिये और चह पोड़ने लगेगी । पर जीवधारी पदार्थके लिये इस तरह ताली शभूरनेकी आाचश्यकता कभी भी नहीं पड़ती । दूसरी विशेषता यह है कि हममें गर्मी भरी हुई है । भीएण- से भीपण जाड़ा पड़ रहा है, सर्दीके मारे हाथ पेर ठिठुरे जा रहे हैं. किसी चस्तुको छूना कठिन है, इस अवस्थामें भी आपके शरीरमें गर्मी है | आाजमाइशके लिये थोड़ी दूर दोड़ आइये और परीक्षा कीजिये या किसी ऐसे कपड़ेको अपने वदनपर डाल लीजिये , जो ठण्ड हो गया है। थोड़ी देस्के वाद कपडा आपको गरम मालूम देगा। हम कपड़ा इसलिये नहीं 'प्रहनते था ओढ़ते कि हम अपने बदनको गर्मी पहुचावें । हमारा




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