आन्ध्र भागवत परिमल | Andhr Bhagavat Parimal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हि समपंण भास्त-गरिमा का मेस-म्युद्ध ! হহাল-নলহহ का अमल भद्ध ! संस्कृति-सिय॒ की तरज्ज तुखझ्ध ! सहजीवन की अतुलित उमंग ! हें सर्वपल्लि कुछ के सपूत ! है स्वश्वेत ! वर श्ञांति दूत ! समरसता-रथ का कुशल सूत ! भागवत - धर्म - जीवन्त पुत ! श्रीराधाकृष्ण महापण्डित ! अनुपम वक्‍तृत्व-कला-मण्डित ! प्रतिभा बहुमुखी ! सुथी परिणत ! स्रष्टा वर ग्रन्थों के अगणित ! भागवत - श्रेष्ठ श्री पोतराज ! आत्माभिमान का अठरू साज ! साहिती - सती - शज्भजार, ভাজ ! सत्कवि -गण का हृद्याधिराज ! उनके कृति -सरसिज का सुबिमल, ञआन्ध्र-मागवत का वर परिमल, हिन्दी का धर परिधान अमल प्रस्तुत ই तव सम्मुख ऊँमिल ! पराप्तं करे यहु सात्विक-प्रसार, फंला समदशंन क्षमा प्यार, भौगवत-धमं का भव्य सार, मानवता की अभिनव बहार ! विनीत्त, वारणासि राममूति रेणु




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