भारतीय संस्कृति | Bhartiya Sanskriti
श्रेणी : सभ्यता एवं संस्कृति / Cultural
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
59 MB
कुल पष्ठ :
359
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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०. ` भारतीय संस्कृति
ऐसी योजना बनाईं थी जिससे मानसिक व आत्सिक विकास को पूरी-
पूरी सहायता मिले | शारीरिक विकास की ऐसी व्यवस्था अन्यन्न कहीं
नहीं दीखती। |
০. सांस्कृतिक विकास में मानसिक शक्ति का स्थान- कुछ कम महत्त्वपूर्ण
नहीं है। विश्व के ग्राचीन व अर्वाचीन सभी देशों ने इसके महत्त्व को
पहचानकर अपनी-अपनी योग्यतानुसार इस दिशा में प्रयत्न किया है।
अ्रचीन बाबुल, मिख, यूनान, रोम आदि में इस शक्ति के विकास का.
'ऊत्तरदायित्व साधारणतया धर्माचार्यों पर ही था। यूनान, रोम आदि
में शासन की ओर से भी नियन्त्रण रहता था, किन्तु मानसिक विकास
सर्वाज्ञीण नहीं हो पाता था। इसका कारण यही है कि इन देशों ने .
निसर्ग-सिद्ध शक्तियों का वैज्ञानिक अध्ययन नहीं किया था। जिन-जिन :
बातों की उन्हें आवश्यकता हुईं उन-डनकी पूर्ति के लिए जितने मानसिक...
विकास की आवश्यकता थी उतना ही उन्होंने किया। अन्य संस्कृति के...
টা संसग से प्राप्त नई सामग्री को भी उन्होंने स्वीकार कर लिया । प्राचीन...
|. यूनान, रोम, मध्यकालीन यूरोप आदि की संस्कृतियाँ इसी লিজ্তান্ব ক ~
|... |दाहरण हैं। 4 द
प्राचीन भारत मे मनुभ्य के अन्तरङ्ग व बहिरङ्गः को ्रच्छी तरह से
समा गया था । सांख्य, योग आदि दशंनांने इस दिशा में विशेष
प्रगति की थी । कर्मेन्द्रिय, सनेन्िय, मन, उदधि, सूच्म-शरीर, स्थुल-
, -शरीर शादि के ज्ञान द्वारा भारत मे मानसिक विकास की शक सुन्दर
योजना बनाई गईं थी, जिसे आश्रम-व्यवस्था की सहायता से सफल
बनाया जाता था । मानसिक विकास की ऐसी व्यवस्था अन्यत्र कीं
पराप्त नदीं है । द
~“ प्राचीन भारत के ऋषियों ने विश्व की पहदेलियों को समझ्ूना हो
मानसिक विकास का उदेश्य माना । उन्होंने जीव व ब्रह्म की शुत्थियों को...
सुल फाकर उनम भी एकत्व के दशन करने का प्रयत्न किया जेसा कि
वेद्; पनिषद् आदि मं उदिखित हं । उन्होंने परमात्मा को उसकी कृति... *
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