विश्व की कहानी | Vishwa Ki Kahani

Vishwa Ki Kahani  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ও .गुज़रनेवाली आलोकरश्मि भौतिक विज्ञान जाता পাপা রাহা ৯৬৬৬ পাশ পাঠক পাপী শিপ ০০০ शश्मियाँ आवत्तन के उपरान्त जिस बिन्द पर मिलती हैं, उसे लेन्स की मुख्य नाभि कहते हैं । नतोदर लेन्स को भी हम कई जोड़े हुआ मान सकते हैं। इस दशा में इन त्रिपाश्वों के शिर . मध्य भाग की ओर रहते हैं ओर पदे बाहर किनारे को ओर । आवत्तन के उपरान्त किरण विचलित होकर बाद पँदे की ओर सुड़ जाती हैं । অলালান্নং रश्मियों का पज ऐसे लेन्स द्वारा आवत्तित होने पर बाहर की ओर प्रसारित हो जाता है। दूसरी ओर से देखनेवाले को ऐसा प्रतीत होगा मानों ये रश्मियाँ बिन्दु 'का से आ रही हैं ( देखिए . पिछले पृष्ठ का निचला बायाँ चित्र ) | क पर उस प्रकाशबिन्दु का काल्पनिक बिम्ब बन जाता है, जहाँ से ये समानान्तर प्रालोक-रशिमर्यो चलकर लेन्स मे प्रविष्ट हुदै थीं। क इस लेन्स का नाभिविन्दु कहलाएगा । इन दोनों लेन्सों में एक छ्वास श्रन्तर ध्यान देने योग्य है। उन्नतोदर लेन्स में से गुज़रने पर किरण-रश्मियाँ अनिवाय रूप से संकुत्रित हो जाती हैं--इसके प्रतिकूल नतोंदर लेन्स में आवत्तित होने पर रश्मिपंज पहले की अपेक्षा अधिक प्रसारित हो. .. जाता है ( दे० पिछले पृष्ठ का निचला चित्र )। उन्नतोदर लेन्स द्वारा व्रिम्ब-निमाण की क्रिया समने के लिएदमे निम्न. लिखित बाते याद स्खनी ` चादिए-- १. लेन्स की मुख्य क्ता के समानान्तर आने- वाली तमाम रश्मियाँ श्रावत्तन के उपरान्त दूसरी शरोर के नाभि-िन्दु से. २. नाभि-त्रिस्दु की. दिशा सेआनेवाली किरण आवकत्तन के उपरान्त मुख्य आने के पूर्व मार्ग से विचलित नहीं होती । अधिक मोटे... लेन्स में कुछ थोढ़ा-सा विचलन अवश्य होता है, किन्तु... यहाँ पर मी विचलन की मात्रा नगरय-सी हीह्येती है) = ` उन्नतोदर लेन्स द्वारा दूर की वस्तु का बिम्ब नाभि-चिन्दु ` | से तनिक आगे हटकर बनता है। यह बिम्ब मूल वस्तु से आकार... चली हुई तमाम रश्मियाँ आवत्तन के उपरान्त पुनः एक ही. ठौर आ मिलती हैं। मुख्य अक्त के समानानतर आनेवाली त्रिपाश्यों से बना में छोटा, उल्टा और वास्तविक होगा, अर्थात्‌ घुँघले काँच के पर्दे पर इत बिम्ब को हम प्राप्त कर सकते हैं। वस्तु यदि लेन्स से नामि-दूरी के दूने फ़ासले पर रक््खी जाय तो _ इसका बिम्ब लेन्स की दूसरी ओर उतनी ही दूरी पर बनेगा । ब्रिम्ब भी वास्तविक और उल्टा होगा, किन्तु आकार में मूल वस्तु के ठीक बराबर होगा। मूल वस्तु को यदि ओर भी निकट लाए तब उसक्रा बिम्बलेन्ससेदृरहय्ता जायगा, साथ ही ब्रिम्ब का आकार भी बढ़ता जायगा; ` यद्यपि यह बिम्ब अब भी उल्टा और वास्तविक होंगा। वस्तु जव नाभिव्रिन्दु पर रख दी जायगी तब हमें इसका विम्ब नहीं मिलेगा, वरन्‌ लेन्स की ओर समानान्तर ` आलोकरश्मियों का एक पुञ्ञ हमें लभ्य होगा। नामभिब्रिन्दु | | ओर लेन्स के बीच में वस्तु रखने पर उसका ब्रिम्ब काल्पनिक... ही बन पाता है--इस बिम्ब को हम काँच के দই ঘহ সানা... नहीं कर सकते | किन्तु यह बिम्ब एकदम सीधा और आकार... नतोदर ओर उन्नतोदर ताल हारा विभ्ब-निर्षाण .. कल्षा के समानान्तर हो १. नतोदर ताल मे वस्तु चाहे जहाँ रक्ली जाय फिरभी हर दशा में बिम्ब काल्पनिक, सीधा जाती है। ओर मूत्र वस्तु से आकार में छोटा बनेगा । २. उब्नतोदर तान्न द्वारा निर्मित बिम्ब नासिंदूरी ३. लेन्स क मध्यमागसे के अनुसार मूल वस्तु से छोटा-बढ़ा हो सकता है, किन्तु यड सदेव वास्तविक श्रौर उल्टा होगा) ( विशेष विवरण के लिए देखिए इसी पृष्ट का मैटर ) । ২ ১, 0 ५




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