जनपद - जालौन (उ. प्र.) की उरई तहसील का लघु - स्तरीय नियोजन | Micro - Level Planning Of Urai Tahsil District Jalaun (U.P.)

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : जनपद - जालौन (उ. प्र.) की उरई तहसील का लघु - स्तरीय नियोजन  - Micro - Level Planning Of Urai Tahsil District Jalaun (U.P.)

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कृष्ण कुमार मिश्र - Krishna Kumar Mishra

Add Infomation AboutKrishna Kumar Mishra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
नियोजन की संकल्पना (0০০01706101 01 21217171170) - ~ ५, नायडू (1984) के अनुसार नियोजन, मानव जीवन के समाजार्थिक उत्थान की एक रणनीति है जो इच्छित उदेश्यो की पूर्ति कौ दिशा मे सतत्‌ गतिमान है। इार (1963) के अनुसार नियोजन वह प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत श्रेष्ठ साधनों द्वारा भविष्य में वांछित उद्देश्यों की पूर्ति हेतुं किए जाने वाले क्रियाकलापों के निर्णयों की श्रृंखला तैयार की जाती है। जबकि फलूदी (1973) के अनुसार- नियोजन तार्किक विधियों का एक प्रयोग है जिसके द्वारा उद्देश्यों की पूर्ति एवं जननीति में परिवर्तन तथा भविष्य की ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत की जा सकती है। फ्रीडमैन (1964) का विचार है कि प्रथमतः, आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं के विषय में चिन्तन की दृष्टि से नियोजन मुख्यतः विकासोन्मुख दिशा में कार्यरत है और सामूहिक निर्णयों के उद्देश्यों से गहराई से सम्बन्धित है तथा नीति एवं कार्यक्रम के निर्धारण एवं क्रियान्वयन में सतर्कतापूर्वक प्रयासरत है। जहां कहीं विभिन्‍न विचारधाराओं का प्रयोग किया जाता है अनुमानतः ऐसी स्थिति में नियोजन की पूर्तिं सम्भावित हो जाती है। पार्क एवं पार्क (1987) के अनुसार- नियोजन के उद्देश्य निम्नांकित हैं () सीमित संसाधनों से अधिकाधिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करना; (1) अनावश्यक खर्च को सीमित करना; तथा (1) परिभाषित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु श्रेष्ठ क्रियाकलापो एवं उपायौ को विकसित करना। इस प्रकार नियोजन को निम्न रूप में परिभाषित किया जा सकता है कि यह एक संगठित, तार्किक एवं सतत्‌ प्रयास है, जिसके द्वारा विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति हेतु उपलब्ध सर्व श्रेष्ठ विकल्पों... का चयन किया जाता है (शाह, 1972)। वस्तुतः निर्णय निर्माण की यह एक निरंतर चलने वाली ` प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य इच्छित उद्देश्यों की पूर्ति करना है। यह भविष्य की दिशा में सततोन्‍्मुख न्पुख एवं मानव कल्याण के प्रति अबाध गति से प्रयत्नशील है। प्रादेशिक नियोजन की संकल्पना (00170913601 39901017851 21717111110) - प्रादेशिक नियोजन का अर्थ बहुत से लोगों के लिए विविध वस्तुएं प्रदान करने से है। कुछ... अर्थों में यह निश्चित क्षेत्रों एवं उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु एक आर्थिक प्रोत्साहन एवं प्राथमिकता के तौर पर प्रदेशों के मध्य संसाधनों की केन्द्रीयता से सम्बन्धित है जबकि अन्य के लिए यह प्रदेश, उपप्रदेश तथा अधिक से अधिक क्षेत्र के भौतिक, आर्थिक और सामाजिक विकास नियोजन से सम्बन्धित है (गेराल्ड, 1978)। प्रादेशिक नियोजन को परिभाषित करते हुए इनका कहना है कि यह, महत्वपूर्ण प्रादेशिक समस्याओं के प्रति अति आवश्यक उत्तरहै। न दूसरे शब्दों में- यह किसी प्रदेश के विकास हेतु अपने विभिन्‍न रूपों में एक प्रकार की दिशा. निर्देशिका है। जो कि प्राकृतवास, आर्थिकी एवं सामाजिकता के समाकलित विकास कापर्यवेक्षण है। फ्रीडमैन (1972) के शब्दों में यह एक क्षेत्र विशेष के सामाजिक लक्ष्यों को सूत्र रूप में वर्णित... .... करने की एक प्रक्रिया है। जवकि हिल हर्स्ट (1971) का कहना है कि यह एक निर्णायात्मक प्रक्रिया ` है जिससे एक क्षेत्र विशेष में उपलब्ध संसाधनों की सहायता से अधिक से अधिक लक्ष्यों की प्राप्ति... कौ जा सके। सुन्दरम एवं प्रकाशाराव (1971) के अनुसार- प्रादेशिक नियोजन एक विधि, दर्शन... एवं संयोजना है जो किसी क्षेत्र, क्षेत्र स्तर एवं आर्थिक विषमतार्जो के निवारण तथा समाकलित .. विकास का एक ढांचा प्रस्तुत करती है। एल. आर. सिंह (1986) का विचार है कि क्षेत्रीय नियोजन ` आवश्यक रूप से एक स्थानिक संश्लेषण है जो कि प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति ढांचे के तहत आंतर्कि




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now