केशवमाहात्म्य भाषा | Keshavamahatmy Bhasha

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Keshavamahatmy Bhasha by गिरिधारीप्रसाद - Giridhariprasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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9 687 केशवमाहाम्त्य । १३ फ ৬ व्याकुरु कुं निरचिन्तां कीने । यह्‌ उपाय सू धीरज दीने ॥ अन्तरध्यान भये मुनिराजा । निरपत चस्यो भजन केकाजा॥ चित्रउत्पला के तट आयो । गेगा सम वह नदी छखायो ॥ विध्याचल पवतसों आई । दक्षिण दिशा समुद्र समाई ॥ जम के ताप नसाचनहारी । निमंरु जख उल्जखूअतिभारी ॥ : दोष । च +. 1283 द्र ढे ५ कष्ठ र केके এ ककक्चक+कझ्क्कझृुक कफ # ४ ६४४४४ ६३8४कड़ कक चाके तट आनन्द হই लस्ये क्षेत्र ओ धाम । 1 कृष्ण देव अस्थान ढिग सुंदर पुर अ ग्राम ॥ £ ह्न्क्ज्ष्क्षज्षक््क रच कर पर स्््न्ष््न्ष्क््न्नक्ष्ज्ष्क्ष्क्ष्कक्ष्क्षज्क्ष न कप र्क्ष्क्षक्ष्कष्ज्क्ष्ेमब्न्क्त्कल्च््ब्न्क्षकक्षकक्षक्च् स २१




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