चन्द्रगुप्त | Chandragupt

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Book Image : चन्द्रगुप्त  - Chandragupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चन्द्रगुप्त। পিক प्रथम अंक ॥ प्रथम दद्य । स्थान-- सिन्धु नदीका तट, वूरमे यूनानी जहार्जोका बेडा । समय---सन्ध्या । [ नदीके तट पर शिविरके सन्मुख सिकन्दर और सेल्यूकस अस्तगामी सूर्यकी ओर देख रहे हैं । हेलेन सेल्यूकसका हाथ पकड़े हुए उसके पाशवम खड़ी है, ओर सूर्यकी किरम उसके सुख पर पड़ रही है । ] सिकन्दर--सेद्यूकस ! सच है, यह देश बड़ा ही विचित्र है। 'दिनमें प्रचण्ड सूय्य इसके गाढ़नीझाकाशको जछाकर चखा जाता है और रात्रिकाल्में शुश्र चन्द्रमा आकर उसको अपनी स्निग्ध चौदनीसे स्नान करा देता है । अँधेरी रातमें जिस समय अगणित तारागगोंसे इस देशका आकाश झलमल झल्मल करता है तब मैं वित्मित आतंकसे देखा करता हूँ | वर्षों ऋतुर्मे जब काले काले मेघ गुरु गंभीर गर्जन करते हुए प्रकाण्ड दैत्य सैन्यकौ भीति इसके आकाशको छाठेते हैं, तब मैं निर्वाक्‌ होकर खड़ा खड़ा देखता हूँ। इस देशका शिरोभूषण, आकारा चुम्बन करनेवाखा, नीर वर्णका हिमाख्य अपने सिरके ऊपर




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