दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि | Digambartav Aur Digambar Muni

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Book Image : दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि  - Digambartav Aur Digambar Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ ) याने जो किलो से भो जाने जाने योग्य न हो | यहां के पदार्थों को दम जानते हें या जान सकते हैं तोयूरोप के पदा्थों को वहां के । इसही प्रकार अन्य स्थानों के पदार्थों को अन्य स्थानों के | यहों बात मूत ओर भविष्यत पदार्थों के सम्बन्ध में है । यदि वत्तमान के पदार्थों को वत्तमान के जोब जानते हैं ता भूत और भविष्यत के पदार्थों को भूत और भविष्यत के जीव । वे ज्ञीव जिनके शेय में जगत के सब पदार्थ हैं समगुण दें | ऐसो अवस्था में एक जीव जगत के सब पदार्थों को जान सकता है, ओर इस ही का नाम सर्व पदार्थों के शान की शक्ति का रखना है । जिस प्रकार कि आत्मा का एक ज्ञान गुण है ओर बह पूर्णतामय है, डलही प्रकार सुक्त भी--छुख से तात्पय निरा- कुलता से है। निराकुलता एक्र आत्मोक गुण है; इसका बाहिरी वस्तुओं ले कोई सम्बन्ध नहों। यह सम्भव है कि हमारे मनाबत्त के कारण बाहिरी पदार्थों क्र असर दम पर पड़ता हो ओर उसके कारण हम आकुलता महस्यूल ऋरन लगे तथा उस विषय कै मिलने स हमारी वह आक्रुलता दुर हा जाय । किन्तु इसका यह मनलब कदापि नहीं हो सक्ता कि बह निराकुलता विधर्या से झाई है । आकुत्तता और निरा- कुलता, ये ता दो आत्मिक अवस्थायें हैं। यद्द दूसरी बात है कि पर पदार्थ की मौजूदगी और सशेर मोजूदगी इनमें निमित्त द्वाती दे । किन्तु वास्तव में हैं तो वे आत्मिक




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