मोक्षमार्ग - प्रकाशक | Mokshmarg Prakashak

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
345
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)।। श्रीवीतरागाय नमः।।
पा आशीर्वाद / अभिमत / अनुशंसा / प्रतिक्रिया फ
(] आचार्य विमलसागरज्ी महारान्न
आपने मोक्षमार्ग -प्रकाशक ग्रन्थ में मुख्य विषयों का स्पष्टीकरण करके एक महान् कार्य किया है। इसी
प्रकार आगे भी ग्रन्थों का सम्पादन आदि कार्य करके जिनवाणी का माहात्म्य बढाव, यही हमारा आशीर्वाद है।
(3 आचार्य वर्धमानसागरनी महाराज
मोक्षमार्ग-प्रकाशकं के नवीन संस्करण की प्रति प्राप्त हुई । इसमे ग्रन्थकार द्वारा स्पष्ट विवेचना के
अभाव मँ आशंकित भूर्लो की ओर आपने ध्यान दिलाने का सम्यक् पुरुषार्थं किया है । मात्र इतना ही नही, उन
स्थलों का सटीक समाधान भी विशेष मेँ आगम ग्रन्थों का प्रपाण देकर किया है । धवलादि सिद्धानतग्रन्थोँ के
तलस्पर्शी अध्ययन का प्रचुर उपयोग करके वांछित स्थलों का सम्यक् स्पष्टीकरण भी किया है । आपके दारा यह
अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य हुआ है।
इस महनीय जिनवाणी-सेवा के लिए सम्पादकों को अनेकश: आशीर्वाद ।
0 भाचार्य आर्यनन्दीजी महाराज
मोक्षमार्ग-प्रकाशक का नवीन संस्करण पढ़कर अत्यन्त आत्मीय हर्ष हुआ। इस ग्रन्थ का स्वाध्याय करने
मेँ आपने महान् ग्रन्थों के प्रमाण देते हुए सूक्ष्म विषयों को स्पष्ट किया अतः विशेष ज्ञानवृद्धि में सुगमता हुई।
आपने छान-बीन करके जो-जो विषय स्पष्ट किये वे सहज सुगमता से ज्ञान होने में सहायक होते है, यह आपने
मुमुक्षु भव्यों का बड़ा उपकार किया है, एतदर्थ आप धन्यवाद के पात्र हैं। जिनवाणी माता की ऐसी ही सेवा आपसे
होती रहे - यही मंगल आशीर्वाद ।
0 भाचार्य सुमतिसागर जी महाराज
मोक्षमार्ग-प्रकाशक के प्रस्तुत सम्पादन को देखा। यह शुद्ध और पठनीय है। इसी पर हमें बड़ा गौरव
है कि जो हमारे मुनिधर्म की प्राचीन प्रणाली को आगे बढ़ाते हुए नई पीढ़ी को पुनः गुरुशिक्षा का ज्ञान देकर
जीवन समृद्ध बना रहे हैं, वह दिन-प्रतिदिन बढ़ती रहे; यही हमारा अन्तःआशीर्वाद है।
ए भाचार्य सम्भवसागर जी महाराज
निश्वयव्यवहार समन्वित विशेषार्थों से युक्त श्रेष्ठ सम्पादन के लिए शुभाशीः।
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