एक ही जिल्द में | Ek Hi Jild Me

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Ek Hi Jild Me by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कूडो वढेई रो / 15 राखो 1 स्पियी दिरावो 1 दाणा लेय र धरा जावू । टीगर भूखा हृवला 1 হল अयूठी री जरूरुत कादी । रघुवाथ थूब गिट ता वोल्यो --बातभा है, म्हारी जेव खाती है! जे हृवता तो जरूर द॑वतो । सतरीम इया हिम्मत हारणिया कानी हा) वति पठट र कवणं लाग्यो--भारे बने बोनी त्तो बाई बात कोनी} भा तोम ई जाणूं हुवता तो थे नठता कोनी । सलीम घूव गिटभो | खुशामद करतो वाल्यो--विणी पाडौसी अठे अगूढी अडाणै रखवा र एपिया दिर वातो ई इषा हवेली ओक्दम भी म हू. सइ तो थात फोडा वानी घालता । रघुनाथ नै छेक्ड दस रुपिया बीन दवणा ई पडघा। जावण सू पैली सलीम जाछ फैलापो--गुरू, था तो कमाल भर दियो आज ताइ भा वात कोनी हृ पण थार चेहरँ मे ई काई जादू है. 1 का हयो ? रधुनाय पूष्ण लाग्यो । --भापायी दिन मुनीरीग्ीस्‌ निक्छघा हानी ॥ सलीम दो महीना पैली री बात याद दिरावण री कोशिश करी। --हा 5, याद आयो । सलीम आपरो जाछ সব वरतो आं बोत्यो--धानं तो याद दिराया पछ याद आयो पणथानै ठा है. वढीत काद हालत है मुन्नी री? --यू काद हूयावीरे । सलीम मुछ्क र बोल्यो--गुरू, जा पूछो , काइ कोनी हुया । घा ता वी दिन सू इ कात खावण लागी के थार साम बे कुण हा। वाने ओकर लावों तो सरी | -+पण मिल्या ई कोनी कर्देई पछे इया ? रघुताथ उछसझन में पडग्यो । “+न दिल रा खेल है. । सलोम कैवण लास्थो--गुरू थाने भोतो तीन-तीन महीना हुवण लाग्या है. भाभीजी सुवाड करण ने गयोडा है म्हारी मानो तो आज चालो 1 रघुनाथ चुप ।




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