एक ही जिल्द में | Ek Hi Jild Me
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कूडो वढेई रो / 15
राखो 1 स्पियी दिरावो 1 दाणा लेय र धरा जावू । टीगर भूखा हृवला 1
হল अयूठी री जरूरुत कादी । रघुवाथ थूब गिट ता वोल्यो
--बातभा है, म्हारी जेव खाती है! जे हृवता तो जरूर द॑वतो ।
सतरीम इया हिम्मत हारणिया कानी हा) वति पठट र कवणं
लाग्यो--भारे बने बोनी त्तो बाई बात कोनी} भा तोम ई जाणूं
हुवता तो थे नठता कोनी ।
सलीम घूव गिटभो | खुशामद करतो वाल्यो--विणी पाडौसी अठे
अगूढी अडाणै रखवा र एपिया दिर वातो ई इषा हवेली ओक्दम भी म
हू. सइ तो थात फोडा वानी घालता ।
रघुनाथ नै छेक्ड दस रुपिया बीन दवणा ई पडघा।
जावण सू पैली सलीम जाछ फैलापो--गुरू, था तो कमाल भर दियो
आज ताइ भा वात कोनी हृ पण थार चेहरँ मे ई काई जादू है. 1
का हयो ? रधुनाय पूष्ण लाग्यो ।
--भापायी दिन मुनीरीग्ीस् निक्छघा हानी ॥
सलीम दो महीना पैली री बात याद दिरावण री कोशिश करी।
--हा 5, याद आयो ।
सलीम आपरो जाछ সব वरतो आं बोत्यो--धानं तो याद
दिराया पछ याद आयो पणथानै ठा है. वढीत काद हालत है मुन्नी
री?
--यू काद हूयावीरे ।
सलीम मुछ्क र बोल्यो--गुरू, जा पूछो , काइ कोनी हुया । घा ता वी
दिन सू इ कात खावण लागी के थार साम बे कुण हा। वाने ओकर लावों
तो सरी |
-+पण मिल्या ई कोनी कर्देई पछे इया ? रघुताथ उछसझन में
पडग्यो ।
“+न दिल रा खेल है. । सलोम कैवण लास्थो--गुरू थाने भोतो
तीन-तीन महीना हुवण लाग्या है. भाभीजी सुवाड करण ने गयोडा है
म्हारी मानो तो आज चालो 1
रघुनाथ चुप ।
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