मोत्यां मूंधो औसर | Motyan Moongho Aosar

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Motyan Moongho Aosar by सुरेन्द्र अंचल - Surendra Anchal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हौसतो जीत्या करे 15 [र बो काकरी उठा'र उण पे फंकी । इत्ता मे वटाखट क्रतो हुयो ओक भवान उण र सान मार ऊमौ हयो अर बोत्यौ, “ঘলাম আনুন भाई 1 “मालेक्म सलाम | कीवर आवणो हुयो ? अब ? ईं टैम रा २7 “आपने कमाडिग-अफसर सांब याद फुरमाव ! अवे | ई ज घड़ी ! पधारो 1“ कागद उः ई मेत्यो, वी वै भां रो वोज्ञ धरर ब्दीर हुई गियो । घायरलेस पै वैठधोडो अफ्सर माथी उठा'र थोडी जेज उण रो उणि- यारो देख'र बोल्यो--रिसालदार अयूब | ठेम आ पूर्गी। सम्भलणे रो ओऔसर भी अवै को है नी। समाचार है'व, पाक रा पैठनटैका 'रो दछ आपा रे नजीक आ पूगो है ।” आय्या मे अणूती चिक पढटकी | भुजावा फठकी | मनचीत्यो हुयो। “ साव । अल्ला-ताला जेज सू सुणी, पण सुणी जरूर! हुकम हुवे तो पैटनटेका सू धकरा'र देखू । जलमभोम पै मर मिटर्ण रो ओ मूषामोलो क्षैसर आयो ए! “अयूव ! थार पे मन्‍्नें पूरो विस्वास है। अब आप री सूझबूझ मू, ट्टा जवान लैर देस रे नमक रो करज उतारो 1/ * फौजी संग टाछवा ई ण हुवे । हुकुम री जेज है ।” “कूच करी | थारी मदत, आर्भ सू नेट नर हटर जहाज बरैता। पाछ सू पैदल सेना भी पूग जासी ।” /“दैटनटैका रो विणास कर दूला, जूना चेडा उजाड दूला ।” दे पै मर मिटणे रा कोड मूछाछा री टुकडी दुसमणां ₹ समन्दर रो बिलो-वणो बरण नै घ॒र्क बधी । आमै-सामे होवण म जेज को लागी नी । दुसमण रा पैटनटेवा सू गोछा री बिरखा होवण लागी। गोवा छूट॑, जमी फाड'र धस, धुवा अर धूड रा बादक्क उठे 1 हवलदार अब्दुल हमीद जबावी ग्रोद्या दागण ने उतावछो हयो पण अयूब बरज'र कैयो, “जोस म होस नी खोवणों । छानामाना बचता हुया बढ़ता रैवण मे ई ज सर है। नजीक पचर चीते रे ज्यू मटादूट हमलो बरस्था। यू भेक भी गोछो खाली नी जावेला | मरणो तो है ही, पण,




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