सल्वटा | Salvatan

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Salvatan by रामेश्वर दयाल - Rameshvar Dayal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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15 वो्िये कोय मूँ मैयकरौ री प्राच्या भे शसू भरीजग्धा । “मूं इण ठाला-पूला रो गिरस्ती रै टूटा-भागा गाडा नै मर-खप ने धकाऊ ने ओरो म्हारे मार्थ ईज कूड़ी बदनामी रो ठीकरो फोर्ड ! जवानों में कंडी गोरी फूटरी हो, नें निखोद जाजों बाप रो, रांड्जिण्ये म्हने भूख सू भी । दो सूबा दुकडा सार चदण जेड़ी काया नै भाटी में सेव दीनी । सीढी गूथू म्हू इण राडजिप्या री 4 गमखाणे रो गुण कुदरत सू वैपार ज्यू हुवं | दूझती गा री लात ई खावणी पड़े ण्ण बाखडी सामी भेटी करे, तो ई सोटा री पदरावां । जो खीमदास श्रणकमाऊ भई होवतो, वो मैथक्की उणसू भू डी ग्राक्तूयां नाड-नीचो कर'र घुण तेवती । पण इण भूखीनै बेमार हालेतमे सत ई उणरौ जमा पूजी ही, थ्रमोलक धन ! उण मायं अदूयोडी श्रांगल्ली देखंण री उण में हीमत कोनी ही, जको किडकिडिया पील ने बोली* 2 ২৯, “महू हूजो रा टावर लाऊ जको ঘূ ল্গাই লাজব্‌ ই?” কহ না रोवण लामी। आपरी मरदानगी माथे दाग री वात सुण'र खीमदास ने काछ चढ,यो । क्रोध में मिनख है अकल मांथे अक्रुस रैंवे नी । आधे होयोहे पाड पडी चिलम उढाय जोर भू' मधकरी रं मोथा माथे वाही । चिलम लागती मौर तावश्ोणी पैथकी “माए 5 करजमौ माथे पेसरगी। मायासू वमगनवगग लोही षड्वा ढू को। हॉका-बोक॑ हुयोडी सुगणक्री दौड'र मा है पांडे आई । घबराट सू धृजती उण आपरे ग्रोढर्ण रो पललो भा रै माथा सू बंवर्त लोही माथे दवाय प्रेमदास ने पाडोसी रै श्रठा मू छीकृणी ज्ावण ने दीडायो | दाधर बगना हुवे ज्यू मा है चार्रु कानी बेठ'र बिलखण दू का | আই সামা জু সঘায মীতীভী ভাতা হী দর লেগ ভূকী। हवा रे लैरक॑ सू' झगणे ऊभी पौपछी रा म्दीवाड़ सू पीछा पोनो झंड हा । इणी पकछ एक कांगलो कांय-कॉय कर रोवतो-रोवतो उडयो | डच करतो दाछ धू एक ईंडो पड़ फूटूयो, पण उण कानी किणी रो घ्यान को गयो नी । ५५००




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