पहचान | Pahchan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अविनाशचद् ভিলা?
{1
महा-मन्दिर
एक घनी आदमी था। वह सदा कुछ न कुछ दान-दक्षिणा देता रहता था 1
एकबार उसने एक बडा मन्दिर वनवाया । मन्दिर बहुत आलीश.,न था
परन्तु उसमें केवल हिन्दू ही दर्नायं जाते थे। यह उसे अच्छा नहीं छगा 1 उसने
मर्दिर तुड़वा दिया । उन स्यान पर एमः विशाल मस्जिद बनवाई परन्तु
मस्जिद में केवल मुसलमान ही जाते थे । उसने उम्र भी तुडवा दिया। उसी स्थान
पर एक सुन्दर गुरुद्वारा बनवाया । गुष्ट्रारे मे केवल मिस ही जति ये 1 उसने उसे
भी तुदा दिया । पिर उस पर एक म्बा - चौटा निरजाप्र बनवाया परन्तु
गिरजाधर मे केवल ईसाई जाते थे । इसलिए उसने गिरजाघर भी तुड़वा दिया ।
अन्त में धनी आदमी ने उस स्थान पर विद्यालय के लिए एक विशाल
भयन वा निर्माण करवाया। उस विद्यालय में अब हिन्दू, मुसलमान, सिस व ईसाई
राभी पढ़ने जाते हैं।
{1
=
चेटी
बैटी वा कद मां के दरावर तेजी से बढ़ता जा रहा थी और एंक दिन वह
मां पी साड़ी वहन कर याजार घली गई।
पहले जद पिताजी सायं के समय पर सौस्ते तो मां बरस पड़ती, “घर में नमक
মী ই হাল हीं है, मादा नही है ।/”
परन्तु अब मां पिताजी के आने पर चुपचाप उन्हें चाय का कप थमा देतौ
है भोर टफ्टरी सगाकर देखती रहती है मानो पूछ रही हो, যা यप सि के
लिए डिसी योग्य वर बा पता चला ?'
तात
हे
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