आधुनिक शासन-तन्त्र (सिद्धान्त एवं व्यवहार) | Modern Government (THEORY AND PRACTICE)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राज्य एव शासन [ 3 काय-पद्धति का अध्ययन निहित है। शासन का स्वरूप एवं कार्य-पद्धति हर युग मे एक्सी नदी रही है । समय-समय पर उनमे परिवतन होते रहे हैं । प्राचीन यूनात और रोम में सबसे पहले राजत श्र था, उसके बाद बुलीनतात्र एव अत में प्रजातन की स्थापना हुई थी 1 आघुनिक जगत में शासन के विभिन्न स्वरूप हैं । सामाय बोलचाल की भाषा मे राज्य, राष्ट्र, समाज एवं शासन का प्रयोग समानार्थी शब्दों के रूप में किया जाता है! परतु इन शब्दों मे महत्वपूण अतर है। अत इनका विदतेपण अपक्षितं है । राज्य (^) समी सामाजिक सस्थाओ में राज्य सबसे अधिक शक्तिशाली एवं शाश्वत सस्या है ! जहा मनुष्य रहते हँ वहा सगछ्न एवं सत्ता स्वामाविक है तथा जहा सत्ता एवं सगठन हैं वहा बीज रूप में राज्य विद्यमान 1 राज्य मानवीय विकास एव समृद्धि कै लिए आवश्यक है 1 यूनानी विचारक इसे प्राकृतिक एवं आवश्यक (गपा वषत 7९००559) सस्या मानते ये 1 अरस्तु (41510115) के अनुसार राज्य का उदय व्यवस्था एव शाति कै लिए हआ था परतु सदजीवन कौ प्राप्ति वे लिए वह कायम है । राज्य सम्यता का सृजनकर्ता है। सामाजिक सहयोग एवं सामूहिक प्रयत्न वितास की एक अवस्था मे राज्य के रूप में अभिव्यक्त होते है। राज्य स्वाभाविक, अनिवाय एव शक्तिशाली तथा शाश्वत सस्था है । इस अथ मे यह अ-य अनेक मानवीय समुदायो सेमितहै। राज्यकी विभिन परिमापाएँ दी गयी है। प्रत्येक' विद्वान राज्य को एक विशिष्ट दृष्टिकोण से देखता है एवं उसी के अनुसार उसकी परिमापा करता है। यूनानी विचारक अरस्तु के अनुसार “राज्य कुलां एव ग्रामा के उस समुदाय का नाम है जिसका उदेश्य परण एव स्वावलम्वौ अथात सुखी एव सम्मानयुक्त जीवन की प्राप्ति हो ।” सितेरो (01০০9), আঁ वोदा (वा 80017) एवं ग्रोशियस (010705) ने भी राज्य की परिभाषाएँ दी हैं परतु वे आधुनिक समाज पर लागू नहीं होती । हॉलण्ड ने अपनी परिभाषा मे प्रभुत्व के तत्व को स्थान नही दिया है। उसके अनुसार “राज्य ऐसे मनुष्यो का बहुसख्यक অনু है जो साधारणतया किसी निरिचत भू-माग पर निवास वरता हो और जिनसे वहुसरया की अपक्षा किसी निश्चित वग के लोगो की इच्छा उस बहुसख्या तेथा वग की शक्ति के कारण उन सब पर चलती हो जो उसका विरोध करते हो 17” इस परिमापा म एक दोप यह है कि राज्य को समूह माना गया है । 7 € ऽवा ९ 15 & ग्रष््मलाण्पर5 --1 ০০০০৮) 2 ০৩৮ তেতেহ0১ गण शीत एी6 ज्यों] ण पल दण खाए 0 ० था बचटटा प्डा143016 ९६5५ छत फटा5055 18 97 पद इफ्थाएप ण 58০) 2. 00219150 ০: 08550030500 0052] 2825৮ 215 पला पप्रा एदा शा6 0एए056 10 ! --त्रणग्गत 57 7 276 21751527055 ८८८ 1301 ल्व ए 46 0০6৩৫ 5ए ७ ए 18000 224817610167:27707001 74८, 1971 ए 80 রি ও 4




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