उप पान | Uap Pan

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Uap Pan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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। ( ९७ ) दी कि पानो की तासीर ठण्डी होती है ओर इसे तुम तड़के पिया करते हो, सो अभी जवानी में तो शरीर में शक्ति रहने के कारण इससे तुम्द्ारी कुछ द्वानि न होगी, लेकिन उम्र ढलते ही श्रनि मन्दी हो जाने से तकलीफ पाशोगे। इससे डरकर उन्होंने उण्:्पान करना छोड़ दिया । असल में इस ढँग की वातें ऐसे लोग किया करते हैं जिन्हें पानी के राणां का टीक ठीक पता ही नहीं । पेट में एसी आग कहाँ पर जल रही है जो पानी गिरने से ठण्डी हो जायगी और जिससे अग्रिमान्ध अथवा बहुमूत्र आदि रोग हो जाँयगे। ऐसे बहुत से लोगों के मुझे दर्शन हुए है जो न जाने कब से खाली पेट ठण्डा पानी पिया करते थे ओर इसी की वदोलत जिन्होंने बीमारियों से बहुत कुछ बचे रहकर खासी उम्र पाई। श्रतएव ऐसे लागों की बातों पर विश्वास करना ठीक नहीं जो उपःपान के हानिकारक वत- लाते हैं । उपःपान करना आरम्भ कर देने पर दस्त खुलासा होन लगता है, भूख खुलकर लगती हैँ, पेट में वायु की कर्मी होती है, पेशाच साफ़ होता है ओर खासी नींद आती हैं। यदि उपः- पान का आरबम्भ करने के बाद दस-पन्द्रह दिन में ये लक्षण न मालूम पड़े तो समझना चाहिए कि उस व्यक्ति के लिए यह अनुकूल नहीं है । अतएव उसे इसके छोड़ देना चाहिए । कुछ लोगों के ऐसी पुश्तैनी बरीमारियाँ होती हैं जिनके कारण डपःपान लाभ नहीं पहुँचा सकता । इसलिए ऐसे मरीजों को उपः- पान से लाभ नहीं होता । जिन लोगों की सदं तासीर दो अथवा 4৮:0৬ ॐ




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