सतमतनिरूपणा | Satmatnirupana
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
316
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९ श्रघ्याय,।] सतमतनिषूपण । - ११
नृषद्रर सद्रत सद्योम सदज्ना गजा ऋतजा अद्विजा कतंबूहत।
और बशिष्ठ ने भी कहा है खकस्मात्सबेगाटरनात्सने-
घक्तेमेहात्मनः विभागकल्पनाशक्तिलेहरी बा त्यिताम्भसः 1
अथेत् इंश्वर से जो सबब्यापी सबशक्तिमान परमात्मा
है एक शक्ति निकलतो है जे! विभाग होने के येण्य है जैसे
समद्र से तरंग ।
फ़िर वेद में भी लिखा है स्केादेवःसब्नेभतान्तरात्मा ।
सा इस विषय में उन पस्तकों से और नातो के संमह
करने का कद्ध प्रयोजन नहों हे क्योंकि बेद शास्त्र प्राण का
साराथ यही है कि
खकमेवारद्वतोयं ब्रह्य नेह नानास्ति किचन ।
अथात् सक अद्वेत ब्रह्म है उस के परे और कुछ नहों।
निदान उन प्रस्तकों के समान इंण्जर जे नि्गंण है उस का
कष्ट वर्णन हो नहों। '
जाके नदि कद्ध बणेन चिन्हा ।
रेस इष्वर इन सब किन्हा ५
ओर सगण दके सब जीव वदहीदहैसेाउसके गण के
जिचार करने के समय यह सेचा चाहिये कि जब बह सगुण
होता है तो उस में कैसे केसे गुण पाये जाते हैं। ...
पहिले परमेश्वर पवित्र है
उन पुस्तकों के बहुत ठौरों में लिखा है.कि परमेश्वर
पवित्र दे 1-
अति पवित्र दै वह करतारा ।
या मे नहिं कुद सोच विचारा ॥
जैसे उपनिषद् में भी लिखा है जिस का बणेन ऊपर हुआ
और जब कि बह केवल सगण होने को दशा में जाना जाता
देखे ३ पृष्ठ में 1
য়
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