प्रकृति की नीति | Prakrati Ki Neeti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सिद्धान्त की व्याख्या न्द
कलग जाय ते वह जड पकड. लेती ३ श्रीर उससे एक पूरा पेड़
निकल आता है। पेड़ों की अद्भुत शक्ति के बारे में हम दे-
एक रोचक उदाहरण यहाँ देते हैं ।
सन् १८३० में जब फ्रेंच लोग अलजीरिया (.५]४०४७ )
मे उतरे तब उन्होंने एक जड्डल में डेरा डालना निश्चय किया |
সীল सिपाही जाड़े भर पेड़ों के काटते-छॉटते रहे। मार्च
मे उन्होंने अपनी तल्तवारों से उनक्नी सब छोटी-छोटी डालियाँ
काट डाह्लीं । पेड़ों में अच्छी तरह फल लगे; कोई पेड़ ऐसा
नथाजो अ्रच्छी तरह न फूला ছা।
सन् १४०३ में ज्ञा चोसी सर-माने ( 1.8 (01क18586-
ऽपरा 1106) मे श्चाग लगी श्रैर बहुत से मकान जल गये ।
एक सेव के बाग मे भी आग पौल गई श्चैर पांच पंक्तियां भस्म
है| गई । छठी पंक्ति मे बहुत सी डालियॉ शुलस गहै,
परन्तु अधिक हानि नही हुई। इसके पीछे एक अदभुत घटना ,
हुईं। एक मद्दीने के भीतर अधजल्ली डालियों में फिर से ऐसे
फूल निकले जिस तरद दर साल मई में फूल निकलते थे ।
इसी तरह उस सात सितम्बर-प्रक्टूबर मे दावार फूल निकले |
एक जगह कुछ फूल के पौधों के पास तक आग आ गई थी
और वह कुछ झुलस गये थे। वह भी उस साल देवारा फूले।
उसी साल फ्रान्स के दक्षिण मे एक और ऐसी द्वी घटना
हई । एपटे (4७०५) साहव ने बयांलाजिकल सेसइटी को
लिखा कि जुलाई श्रौर अगस्त में टिडियों ने कुछ पेड़ों की बड़ी
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