प्रकृति की नीति | Prakrati Ki Neeti

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Prakrati Ki Neeti by सीता राम - Sita Ram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(4 सिद्धान्त की व्याख्या न्द कलग जाय ते वह जड पकड. लेती ३ श्रीर उससे एक पूरा पेड़ निकल आता है। पेड़ों की अद्भुत शक्ति के बारे में हम दे- एक रोचक उदाहरण यहाँ देते हैं । सन्‌ १८३० में जब फ्रेंच लोग अलजीरिया (.५]४०४७ ) मे उतरे तब उन्होंने एक जड्डल में डेरा डालना निश्चय किया | সীল सिपाही जाड़े भर पेड़ों के काटते-छॉटते रहे। मार्च मे उन्होंने अपनी तल्तवारों से उनक्नी सब छोटी-छोटी डालियाँ काट डाह्लीं । पेड़ों में अच्छी तरह फल लगे; कोई पेड़ ऐसा नथाजो अ्रच्छी तरह न फूला ছা। सन्‌ १४०३ में ज्ञा चोसी सर-माने ( 1.8 (01क18586- ऽपरा 1106) मे श्चाग लगी श्रैर बहुत से मकान जल गये । एक सेव के बाग मे भी आग पौल गई श्चैर पांच पंक्तियां भस्म है| गई । छठी पंक्ति मे बहुत सी डालियॉ शुलस गहै, परन्तु अधिक हानि नही हुई। इसके पीछे एक अदभुत घटना , हुईं। एक मद्दीने के भीतर अधजल्ली डालियों में फिर से ऐसे फूल निकले जिस तरद दर साल मई में फूल निकलते थे । इसी तरह उस सात सितम्बर-प्रक्टूबर मे दावार फूल निकले | एक जगह कुछ फूल के पौधों के पास तक आग आ गई थी और वह कुछ झुलस गये थे। वह भी उस साल देवारा फूले। उसी साल फ्रान्स के दक्षिण मे एक और ऐसी द्वी घटना हई । एपटे (4७०५) साहव ने बयांलाजिकल सेसइटी को लिखा कि जुलाई श्रौर अगस्त में टिडियों ने कुछ पेड़ों की बड़ी




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