भाषा विचार और वास्तविकता | Bhasha Vichar Or Vastvikta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्राक्कथन अद्यावचि লিবান্দ भिन्न प्रतीत होने वाली घटनाओं के पारस्परिक सम्बन्ध के ज्ञाता महापुरुष का जन्म कभी-कमार ही होता है, जो मानवीय ज्ञान को नए यायाम प्रदान करता है। दिक्‌ गौर काल की सापेक्षता का निरूपण करनं बाला आइस्टाइन एक ऐसा ही व्यक्ति था। एक अन्य क्षेत्र मे तथा कुछ विराद्‌ स्तर पर चैन्जमिन ली ভ্তীদ্ক (3০7000015০৪ एन) एक ऐसे ही व्यक्ति ये, जिनकी गणना सम्भवत. एक दिन प्रैन्न॒वोअस ( 702 8088 ) तथा विलियम जेम्स (छ1॥07 70710) जैसे समाज-शास्त्रियों की श्रेणी मे की जाएगी। भाषा हमारे अन्तरतम विचारो को किस प्रकार एक रूप प्रदान कर सकती है, यह जानने के लिए उन्होने मानवमापा एवम्‌ मानवचिन्तन-पद्धति के पारस्प- रिक सम्बन्ध को अच्छी तरह समझा। इस प्रकार हमारा परिचय सापेक्षता के एक नए सिद्धान्त से कराया जाता है, जिसके अनुसार सभी प्रेक्षक एक ही भोतिक प्रमाण के द्वारा विश्व का सहो रुप नहीं देख पाते; जब तक कि उनकी भाषायी पृष्ठभूमियाँ या तो समान नहों अयवा उनका किसी प्रकार से अंश्ांकन न किया जा सकता हो। भारोपीय भापाओं का मोटे रूप में अज्ांकन इस प्रकार किया जा सकता हैः अग्रेज़ी, फ्रैन्च, जर्मन, रूसी, लैटिन, ग्रीक तथा शेष भाषाएं। परन्तु व्हो्फ का कथन है कि चीनी, माया तथा होपी भाषाओं का अज्ञाकन सरचनात्मक दृष्टि से यदि असम्मव नहीं तो कठिन अवश्य है। चीनी भाषा बोलने वाले प्रकृति तया विश्व का विमाजन पादचात्य माषामापियो से भिन्न प्रकार से करते है। अमरीकी-इण्डियनो, अफ्रीकियो तथा बहुत-सी अन्य भाषाएं बोलने वालों के द्वारा प्रकृति तथा विव्व का विभाजन बिल्कुल ही अलूग ढग से किया जाता है॥ व्होफ॑ नापाविज्नान जैसे अपेक्षाकृत नए विज्ञान के परम विद्वान थे। मेरा विश्वास है कि उनके इतने प्रमावणाली होने का एक कारण यह था कि उन्होते इसका प्रशिक्षण कही प्राप्त नही किया था। उन्होंने एम० आई० टी० (1111) में रामावनिक इन्जीनियरी की जिला प्राप्त की, जिससे उन्हें प्रयोगगालीय शोघ- विधि एवम्‌ निर्देण-पद्धति की उपरूब्धि हुई। भाषाविज्ञान की उपलूब्धियाँ तो उसमे से मानो निचोइकुर निकाछी गई थौ। किसी मान्तरिकं प्रेरणा के अनूरोवं ने ही उन्हे शब्दों और भाषा के अध्ययन के लिए वाघ्य किया । यदि आप यह समजते हा कि उन्हें विदेशी भाषाओं पर आधिपत्य प्राप्त करने की भावना नें




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