पशु और मानव | Pashu Or Maanav

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Pashu Or Maanav by जैनेन्द्र कुमार - Jainendra Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पशु और मानव ६ अपने को नवीन पुराणों का वैज्ञानिक कवि समभता है। दोनों को अधिकार है कि अपनी धारणाओं को मानें, चूं कि सनुष्य की खिति-परिश्थिति का वे नए मूल्यों में अध्ययन करना चाहते हैं। अपने प्रयोजन के लिए जो कुछ वे असंगत, अनगेल शौर श्रवांद्ठित सममते हैं, काट-छोंट कर अलग कर देते हैं। जो कुछ इनके मूल्यों की कसौटी पर खरा नहीं तरता, वह देय और वित है, रदी की टोकरी मेँ फक दिए जाने योग्य । इस नाप-जोख में वे सफल कलाकार, गम्भीर विचारक और कुशल वैज्ञानिक की तरह अपनी बुद्धि का प्रदर्शन करते हैं। उस प्रद- शंन का परिणाम होता है जेलों का भरना, राजनीतिक नासिकं का मौत के मुँह में ढकेला जाना, व्यक्ति की इच्छाश्रों व अधिकारों का कुचला जाना. और गाँधियों की हत्या। हज़ारों शिक्षक और असंख्य ब्रॉडकास्टर उनकी सत्ता की अछु- ण्णता के गीत गाते हँ--इसीलिए वे हैं। बोब कह रहा था-“कोई कारण नहीं कि मूवी एक कला न बन सके । यह तो इस व्यावसायिक नीति ˆˆ* उसकी वाणी में विज्ञोम उमड़ पड़ा--उस सामान्य कला- कार का सा जिसे नाचना कम आता है, पर जिसे आँगन की देदह खल उठती है। तीत्र भत्सेना के साथ उसने व्यावसा- यिक तीति पर चोट की |




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