श्री निम्बार्क प्रभा | shree Nimbark Prabha
श्रेणी : पौराणिक / Mythological, शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १५)
फाम्राक्तत्य: नमखँतः 1 संसमेंण। रसस्यात्र. कमि
उम्युज्जरुता . एधक ॥ १० ॥. इत्यड्रप्रि कुचकुकु
मसापत्य वायबः क्रपात : ॥ शान्तादिकरसानोति
निदाने पवकस्यर ॥; ११.॥ तुलप्री भक्ति सत्र
शयु বারা: वृर्दाभाक।पिया शाक्ते संबे
गत प्रकाशिनी इतिशुतेः १४. `
> ..... व्यालय भाषा ®
,- -प्रमद्धागवत तृततावस्कन्द में: जब सनकादि
चेङन्ट मे गये श्र नारयण कल नयने के चरणे
केमर के पराग की मिली ` तुलसी मकरन्द की
वायु अपने विवर अथात नांपिका (द्वारा, सनका
दकिन के हदय मे आई ओत्तर सेवी नाम নিখুত
नशे বাল ই चिंत्त में' शरीर “में क्षोम करती
अयी प्रमके आठों साखिक उदर्थ होते भंगें ॥१-॥
व्यास्या ग्री इष्ण के दहिने रणकः रष. कै
मूल मे कमल की रखा, तापे चटी ठलषीःहरि क
तहे र रूषह रदन्यसे सक्षी जीते चरण
स्तन पर थरे और एर च ककम् से चरण कों
सलन द्वियो वाही|कमल स्थान पे सप्ली.ख्लयी
के साथ तुलसी पृष्य से रहे ॥ ३ ॥ ईडम् कमर
€ प्या ঝা কতজন ह चरणः स्तन सुग
( इष” दने मिली तुलसी 'ताको बायु पांच
User Reviews
No Reviews | Add Yours...