आर्यमत लीला | Aaryamat Leela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ज्रायमतशीला ॥ जेपी बुद्धि रखता था। दिन्दुस्तानियों को ऐसी शिक्षा दो क्षि सनणष्य अपने बिचार से पदार्थों के गणों का प्रसोय करके नवीन काये उत्पादन नहीं कर सकता है। ऐसी शिक्षा के प्रचार का यह प्रभाव हुआ कि विद्या को জী उम्रति हिन्दुस्तान सें हो रही थी অহ बन्द हो गर शरीर जो विज्ञानकी | জারী पेद्र करली थौ शांहिस्ता २ उन को भी भल गये क्योंकि মিনা शक्ति को दासं ॐ लाये षिदून विज्ञान की बातों का प्रधार रहमा असस्भव ही हो जाता है। यह भी सालन होता है कि अभाग्य कै उद्यसे हिन्दुस्तान में गशेकी चीजके पीने कर भी प्रचार रुस समय में बहुत हो गया था जिस पंत सोम ऋहते थे। इस से रहा खडा खान बिलकल हो नए छोगया और ! इस देश के भनष्य अत्यंत सूखे. और आलसी ही गये 1 । थददि बेदों के अर्थ जो स्वामी जी ने | শহ হী ज्ञस होता है कि इस सूखता | के समय में. ही वेदों के गीत बनाये | गये क्योंकि स्थामी जी:के अर्था के अनेसार वेद से सिवाय शग्रासोण सं- | जुध्यों के गीत के भरर फंड नहों है । इतानमें अविदया: अन्धकार फला हुआ किये हैं वह ठीक हैं तो इन अथासे' हैर थेदों में. कछ भी हो' हंसको/तीः | आक इस सात का हैं. कि' स्थाभी' जी. इस वेर्सेभान समयःमें जब कि हिन्दु-' बिद्या जौर कासेगरी फी बातो में शरपना विधार लगाना नहीं चाहते ' हैं, जब कि संघ लोग निरुद्यमी और आलमोी हो रहे हैं शौर एव कपष सोने की सरै तक फे वासते विदैशि- योंके आश्रित हो रहै है एषे नाजक्ष ' समय में खामी णी की यह शिक्षा कि भनंण्य अपने विंचार से कछ भी धि ज्ञान मोप्त नहीं कर सकता है हिन्दु- स्तानियों कषे धास्ते जहर का कास ` देती है. यदि खासी জী के भर्यकि अनसार वेदों मे पद्ये विद्या ओर कारीगरी आादिफकी आरम्भक शिक्षा भी होती तो सी ऐसी शिक्षो करू विशेष हानि न फरती परम्तं वेदौ भे सी कष मी नहीं है सिवाय प्रशंसा ओर स्तति के गीतों के और वह भी इस प्रकार कि एक २ विषय के एफ ' ही मजमन के सैक्षहों गीत जिनको ' पढ़ता है आदसी उकताजावे रीर - बात एक सी प्रांस नही । खेर यह तो हस आगामी दिखावेग कि ददो सें ' क्या लिखा है ? परन्त इस स्यानंपर तो हस इतना ही कहना. चांहते हैं ¦ कि यदि कोद बालंक जो मनुष्यों से সতহত लासे केवल एंक सेदपाठी ¦ गः चैसके पास रहै भीर उसको खामी ; लीके अर्के अनसार सेद्‌ पठ दते { तो बह बालक इतना लिश्षान प्रां ¦ नकर सकेगा कि ' दोदीसे डोटी कोरः वस्त॒ ` जी. गावकेः भेवांर वनालेतेःहै है कब कि हिन्दुस्तानी: लोग पदार्थ / बनालेवें। गांवके बाढ़ी चसो वनालेते




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