मज़ाज़ जीवनी और संकलन | Majaj Jivni Aur Sanklan

Majaj Jeevani Aur Sanklan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मजाजं १७ स्पया मानिक छामाने बाले सरझरी पदाधिकारी को ठेढ़ सी एन्‍लो লালা पाने হালি দলিল लायबे रियन में कोई आकार नज़र ने झाया । यहां एक चार फिर धन की जीत ओर कला दी हार द्वः 1 शायर ने एक बार दिल की आवाज पर कदम उठाये थे प्लोर मुट के बल गिरा था। श्रव के श्रवल पर भरोंना किया था, फुछ#फूफकर कदम रखा था, लेकित फिर ठोकर न्या गया और सिया कर रो पडा और १६४५ ইত मे उन पर पागलपन का दूसरा हमला हुआ । प्रव बह स्वयं ही अपनी महानता के राग अलापता था। साये कै नामो की सूची तयार करता था श्रीर 'শালিন' और श्टकवान' कैः नाम के वाद श्रपना नाम लिखकर सूची समाप्त कर देता था। दाक्टरो के भरसक प्रयत्नो तथा घर वालों की जानतोट रोबा-शुश्रूपा से किसी प्रकार स्वास्थ्य तो प्राप्त हो गया पर जीवन का ढर्स न बदल सका । निरतर वेकारी श्नौर एकाकीपन का साध रहा । यरावनोशी वदती गई । जीवन की कटुता वटती गई श्रीर वह्‌ उन कहुताओं को थराब में टुबोने का श्रसफल प्रयत्व करते-करते स्वयं ही घराब में डूब गया । लोगों ने कहा कि 'मजाज' का इलाज शादी है । लेकिन यह इलाज हो कैसे ? 'मजाज' की जेबें खाली थी । जहां भी घर वालो ने हाथ फैलाया उत्तर मिला कि बडे के साथ तो नही हा छोटे के साथ चाहो तो कर लो। वही 'मजाज' जो कभी इस क्षेत्र मे इच्छाओं का केद्र था, कुडा-करकट बनकर रहे




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