सफ़र-दर-सफ़र | Safar Dar Safar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.65 MB
कुल पष्ठ :
109
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हा ताई ठीक कहती हो । दशहरा दीवाली की पद्धह दिन की छूट्टी चल रही है । यहा रहती तो दस जने दस बातें पूछते । यहा से चली गयी तो घूमना भी हो गया भौर मुहल्लेवालो को जवाब देन का भी बहाना मिल गया । यह समझ मे नही आता दो अकेली औरते बाहर धूम फिर क्से लेती है। त्वित्ता की मा तो आधी उम्र पार कर गयी पर सविता तो जवान है उस डर नहीं लगता ? तु भोला है तू नहीं समयता । सुग्गा ताई ने मोहन को समझाया । जिसकी बाख का पानी मर जाता है उसे कसी बात का डर नहीं लगता । डर होता तो इतनी दूर घर से मकर ने पढतीं । मनकी बत्तीस घाट का पानी पिपे हुए हैं दुनिया को चरा दे । तू बया जाने 7 ठीक कहती हो ताई 1 मोहन को हसी आ गई 1 देखता नहीं चद्रमान के साथ कसी रास लीला रचा रही है सबिता । सुग्गाताई मे सर शुकाकर धीमी आवाज मे कहा वह मरा चद्रंभान इसे ले डबेगा। मनकी मे आखो पर पटटी बाध ली है ऐसे दिखाती है जैंस उसे कुछ पता ही नहीं 1 मोहन की आखो के आगे चद्रभान मा चेहरा घूम गया । शरीफ दिखने की लगातार कोशिश मे च द्रमान ने अपन को अजब उजवक बना-डाला । कितना हो वन ठन के रहे आखों से घूतता हर समय टपकती रहती है। मकड के इस तरह चलता है जैसे किसी बहुत बडे खानदान का बेटा है। दुनिया जानती है खाने के लाले पड रहते हैं। पिछले तीन साल से इसी मुहह्ले मे अपने गवई--गाव के चाचा चाची के साथ बस्ती के बिल्कु् आखिर म एक छोटा-सा मकान लेकर चद्रभान रह रहा है 1 एम० ए० पास कर लिया है अब राजनीति मे पीएच० डी० करना चाहता है लेकिन नम्बर कम होने के कारण अभी तक जुगाड़ नहीं बैठ पाया । जीबिका के लिए शहर की एक प्रकाशन सस्था में मामूली सी क्लर्की करते हैं हजरत । साथ मे ट्यूशन भी करनी पड़ती है इधर एक दो ट्यूशन 1 मोह छोड़कर सविता को पढाना शरू कर दिया है ।कहते हैं सविता में बडा टेनेंड है । सविता को वी० ए० बी? एुड० कराकर किसी सरकारी स्कूल मुख्यअध्यापिका बनायेंगे । नगर निगम की नौकरी भी कोई नौकरी है । 1
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