मध्य कालीन प्रेम साधना | Madhya Kalin Prem Sadhna

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Book Image : मध्य कालीन  प्रेम साधना  - Madhya Kalin Prem Sadhna

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तामिल प्रांत के आड़्वार भक्त कवि ७ प्राचीन कहे जाने वाले आड़वारों का समय सबसे अधिक अंधकार में है, किन्तु डा० ऐयंगर ने तामिल भाषा के किन्दीं पिंगल तथा व्याकरण ग्रन्थों के भाष्यों से उद्धुत, प्वायगेयर नामक कवि के, पदों पर विचार करके यह परिणाम निकाला है कि वे प्वायगैयर वस्तुतः प्वायगई आड़वार ही थे जो अप्रने जीवन-काल के कुछ ही दिनों अनंतर एक देवता की भाति माने जाने लगे थे | उनके अभी थोड़े दिन पहले प्रकाशित 'इन्निल३? नामक एक काव्य संग्रह के भी देखने से स्पष्ट हो जाता है कि उनका समय ईसा की दूसरी शताब्दी के अंतर्गत किंसो समय मान लेना अनुचित नहीं कहा जायगा । प्रसिद्ध दै किं प्वायगई काञ्ची नगर में स्थित विष्टु मन्द्र के निकटवर्ती किसी तालावमं एक कमल पुष्प पर उत्पन्न हुए थे। पे आड़्वार का जन्म भी, उसी प्रकार माइलापुर के . किसी कुरे मे उसके दूसरे ही दिन, एक लाल कमले से होना बतलाया जाता है ओर उस स्थान से कुछ मील दक्षिण दिशा की ओर स्थित महावलिपुरम के आस-पास किसी एक अन्य फूल से प्रकट होने की कहानी भूतत्तार आड्वार के विपय में भो प्रसिद्ध है| इस प्रकार ये तीनों आड़वार आपस में समसामयिक समझे जाते हैं और इनके संवन्ध में यह एक कृथा भी प्रचलित है कि किसी दिन, भारी वृष्टि होते समय, संयोगवश ये तीनों तिरुकुकी विलूर नामक नगर के किसी छुपर के नीचे आ मिले और आपस में कुछ आध्यात्मिक चर्चा कर रहे थे कि इन्हें किसी एक चौथे भी व्यक्ति के आने की आहट मिली और परीक्षा कर छुकने पर पता चला कि वह व्यक्ति स्वयं विष्एु भगवान्‌ थे | अतएवं, इस घटना से प्रसक्ष होकर उन तीनों ने उसके दूसरे दिन तामिल भाषा में सौ-सी पदों की रचना कर डाली और ये तीन सौ पद्‌ उपयुक्त अवन्धम! में क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृत्तीय 'तिरुब॑ दादी? के नाम से সাবি हैं | प्वायगई आड़्वार के कतिपय अन्य पद्म 'इन्निलई? मे भी संण्हीत हैं और उनमें प्रसिद्ध 'कुरल” की भाँति नीति जैसे विषयों की भी चर्चा की गई है। ' डा० कृष्ण स्वामी ऐयगर : 'अर्ली हिस्द्री इ०! पृष्ठ ६७-७९




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