अध: पतन | Aadh Patan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५ दृखरा परिच्छेद
जाने किस चिन्ता में हवा है। धीरे घीरे उठ कर उसने पक
सस्टृक खोखा; सन्दुक से वहुतेरी चिद्यो का पक चडकः
निकाला । पन्नों की लिखावट कण्यी है,--ज्ञान पड़ता है कि
क्रिसी वालिका के लिखे हैं। एक एक पत्र खोल कर माधव
पढ़ने लगा--उसकी बढ़ी वड़ी आँखों में आऑखू मर आया; अन्त में
एक पत्र पर दपाटप दो वृद् आँसू दपक पड़े । दथेली से आँख
पोछ वह फिर पत्र पढ़ने लगा | अन्त में वह सब पत्र पढ़ गया।
इसके बाद उसके हृदय से वेदना के साथ एक टंढो साँस निऋल
कर हवा में मिल गई ।
पत्रों को वटोर कर म्राधच ने सन्दुक् मै चन्द् कर दिया।
इसके वाद चह चुपचाप आकर विछोंने पर लेट गया। बिछोने
पर पड़ पड़े वह सोचने छगा,--“यह क्या हुआ ? बह भूली
हुदै वात फिर हदय म जाग उडी ! बह् वुद्धो द आग फिर क्यों
जर उठी ? बहुत दिन कौ वात,--बहुत दिनि की भूली हुई
याद्; अज फिर पकराप्कक्योनरै दो गद? अषक्या करूँ,
चित्त बहुत चंचल दो रद्या है |”
सोचते सोचते युवक उठ कर खिड़की के पास चला गया।
फोठरी की वायु न गम द्वी थी और न ठंढी; फिर भी चिन्ता के
मारे युवक के माथे पर मोती जैसे पसीने के वूंद ऋलक रहे
धे। युवक ने खिड़की खोल दी; इसके वाद एक कुर्सी खींच
कर खिद्कोके पास ही बैठ गया । सामने ही सड़क है, किन्तु
इतनी रात को सड़क से कोई ज्ञाता आता नहीं। सड़क के
दूसरे किनारे के मकान की एक कोटरी मँ चियग जल र्दा है |
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