प्राचार्य कालक | Pracharya Kalak

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Pracharya Kalak by जयकृष्ण - Jaykrishna

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्राचार्य कालक (নল) “आज्ञा हो, भगवन्‌ पूर्‌ + ॐ द भग “पर याद रखना कि इस काल के बाद न तू कालक के सम्मख जाना और न वदी सरस्वती को उसके सम्पृख जाने ১ ক नि देना क्योकि मेरे परोक्ष में वहु अपनी सिद्धि का प्रयोग कर सकता है । समभ गया न, भक्त 1“ “हाँ, भगवन्‌ 1” तो जा । मखलिपुत्र तेरी रक्षा करेगे ।* “मे अनुगृहीत ह 1 2)




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