प्रतिशोध | Pratishodh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५ उपन्यास
बाहर निकल कर तेजी के साथ लपकते हुए इधर ही को भा रहे
थे। सब लोग उन्हीं की तरफ देखने लगे । उपस्थित सब জানু
मियों क तरह इन दोनों का भी तमाम बदन लाल कंपड़ों से
ও উমা था। बात की बात में ये दोनों उस जगह था पहुंचे '
সী भीड़ को चीरते हुए बीच वाले चौतरे के पास আঁ पहुंचे ।
यहाँ पहुँच एक आदमी तो रुक गया प्रतु दुसरा चौतरे पर
चढ़-गया और किसी तरह का गुप्त इशारा करने बाद ; गर:कपाल.
ओर रक्त-मंडित,मुंड पर,हाथ रख उससे. धीम, स्वर में कुछ
कहा । इसके बाद- घूम कर वह बोला, “भाइयो, मैंने श्राप लोगो;
को अन्तिम और पांचवी परतिज्ञा,करने -से “रोक. दिया, : इसका:
कुछ विशेष काररा है। यद्दि भाप लोमान, तो: मै: भृपने, इनः
सियो से कुल सलाह कर् लू आम বল ও
| + 9 & १ ^
` इतना कहु वहं धराद उन तीनों भरादमियों की तरफ मका 1
बहुत ही धीरे से उसने उनसे कोई ऐसी बात कहो कि वे तोनों ही
चोंककरख्खंड़े हो गये तथा सभों का हाथ श्रपनी अपनी कमर पर
चलाज़ाया,जिसके साथ एक-एक भुजालो लटक रही थी 1: पेरन्तु*
হি সন্ত की-भागे-बाली बातों ने उन्हें. शान्तः किया नीर
तब उनमें कुछ सलाह होने लगी। चारो;तरफ की शीडः उत्सुर्कता
के साथ इनकी शोर देख रही थी ।
५५
आधी घेड़ी के,वाद उसी व्यक्ति ने जिसमे प्रतिज्ञाएं: कहो थीं
उठ/कर कहा, “भाइयो, कई कारण झा पडे है जिससे यह पांचवीं
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