कर्म भूमि | Kram Bhumi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
360
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कमेभूमि { २२८
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84 शान्तिकुमार एक महीने तक अस्पताल मे रहकर अच्छे.
के हे गये। तीनों सैनिकों पर क्या बीती; नहीं कहा जा
রি =° ४ सकता $ पर अच्छे होते ही पहला काम जो डाक्टर साहब 1
धं ने किया, वह ताँगे पर बैठकर छावनी में जाना और उन |
सैनिकों की कुशल पूछना था। मालूम हुआ, कि वह तीनों भी कई-कई )
/दिन अस्पताल मे, रहे, फिर तबदील कर दिये गये। रेजिमेंट के कप्तान ने.
;डाक्टर साहब से अपने आदमियों के अपराध की क्षमा माँगी श्रोर विश्वास
' दिलाया, कि भविष्य में सैनिकों पर ज्यादा कडी निगाह रखी जायगी। डाक्टर ¦
/ साहब की इस बीमारी में अमरकान्त ने तन-मन से उनकी सेवा की, केवल भोजन
। करने और रेणुका से मिलने के लिए घर जाता, वाक़ी सारा दिन और सारी .
হাল उन्हीं की सेवा में व्यतीत करता। रेणुका भी दो-तीन बार डाक़्टर साहब ,,
के देखने गईं |
; इधर से .फुरसत पाते ही अमरकान्त कायखके कामो में ज़्यादा उत्साह से
; शरीक होने लगा। चन््दा देने मे तो उस संस्था में कोई उसकी बराबरी न
कर सकता था।
एक बार एक आम जलवे मे बह ऐसी उदृण्डता से बोला, कि युलीस
के सुपरियेडेट ने लाला समरकान्त के चुलाकर लड़के के संभालने की चेतावनी ,
दे डाली} लालाजी ने वहां से लौटकर खुद तो अमरकान्त से कुछ न कहा, .
सुखदा और रेणुका दोन्गँ से जड़ दिया ] अमरकान्त पर अब किसका शासन-
है, वह खूब समझते थे। इधर बेटे से वह स्नेह करने लगे थे। हर महीने
पढाई का ख़च देना पड़ता था, तब उसका स्कूल, जाना उन्हे ज़हर लगता था,
काम में लगाना” चाहते थे और उसके काम न करने पर विगडते थे। अब
पढ़ाईं का कुछ ख़र्च न देना पडता था ; इसलिए, कुछ न वोलते थे ; वल्कि ?
| कभी-कमी सन्दक्र कर न्नी न मिलने या उठकर सन्वृक़ खोलने के कष्ट 7
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+~ >3.
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