मिर्जा गालिब | Mirja Galib

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Mirja Galib by रजिया सज्जाद जहीर - rajiya sajjad jahir

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खारी सै लगाव मिर्जा के जमाने भें एक ओर बहुत बडे शायर भी आगरे से थे। इनका ताम था नजीर । यह सूफी थे, जगह-जगह घूमते थे, हर तरह के लोगो से मिलते थे। जनता के दिल की बात जनता की ही जवान में कहते थे। इनकी गायरी बहुत सच्ची, रसीली और मजेदार थी। वह उनकी मशहूर नज्म “सब ठाट पडा रह जायेगा जब लाद चलेगा वंजारा” हम लोग অই चाव से गाया करते है । गालिब ने लड़कपत मे जरूर नजीर के शेर पढ़े होगे, सुने होगे । इनसे उन्हे बढ़ावा भी मिला होगा । कुछ लोग तो यहा तक कहते हैं कि गालिव नजीर के गागिद थे। लेकिन यह वात ठीक नहीं है । तुम्हें मालूम है कि उर्दू जायरी में उस्ताद और शागिद के क्या मतलब होते है ? बात यह है कि उस जमाने भे हर नया शायर जब शेर कहने लगता था तो पुराने और बडे उत्तादों বান १७




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