वक - संहार | Vak - Sanhar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बकन्संहार
[ २४
शवला जनों फी एक दिनि
है छाज रहनी भी कठिन,
जिनके छिए पर पुरुष-मय संसार है।
यदि वे अनाथा हों यहाँ,
तो फिर कुशल उनकी कहाँ ९
प्रत्येक पद् पर विपद् ~ पारावार है।
- २५ |
कुछ काम सझ्कूट में सरे
इस हेतु धन-रक्षा करे,
दारादि की रक्षा करे धन से सदा
आचार यह अति शिष्ट है ,
पर, आत्मरक्षा टदे;
घन से तथा दारादि से भी सबंदा।
९१५
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