चिन्ता | Chinta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ :
4 MB
कुल पृष्ठ :
236
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विता ५: ` १७
विकल वासना के प्रतिनिधि वे
৮ सव॒ सुरमाये चले गये;
आह ! जले अपनी ज्वाला से,१ फिर थे जल सें गले, गये।” ४१४
“री उपेक्षा भरी अमरते!गी अतृप्ति ! निवाध विलास !
द्विघा-रहित अपलक नथनों कीभूख भरी दशन की प्यास! ४३बिछुड़े तेरे सब आलिंगन, |
पुलक स्पर्श का पता नहीं;मधुमय चुंबन कातरतायें'“आज न सुख को सता रहीं। ४३^र्न सौध के वातायन, जिनमेडा आता मधु-मंदिर समीर;
टकराती होगी अब उनमें
| तिमिंगिलों..की भीड़ अधीर। |,“देव-कामिनी के नयनों से
जहाँ नील नलिनों कौ स्ट
होती थी, अब चहो हो रहीप्रलय “कारिणी भीषण बृष्टि। ४५
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