जापान की राजनितिक प्रगति | Japan Ki Rajnitik Pragati
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31 MB
कुल पष्ठ :
445
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ जार्ज एत्सुजीरो उयेहारा dr jaarj aetsujiro uyehaara
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मिकादोफी ४पनी मानसर्यादा नामभात्र रह गयी थी तवसे
कायतक यह प्रथम छावखर था कि पद्वीधारी मिकादों अघ
जापानका सच्चा शासक बन गया। ताल्लुकेदारी शासनका
लोप हो गया। बोझ४र्भपर शिन्तोध मंने घिजय पायी । जल
थल दोनो सेनाश्रौका सङ्टन किया-गया ) रेल ओर डाककोा
प्रवन्ध किया गय । छीर भी बहुतसे सुधार हुए । १७६२७
घि०मे तोकियोमे भयड्ूर आग लगी। सारा नगर जलकर
भस्म हो गया। नशगर नये सिरेसे बनाया गया। लकड़ीके
मकानांकी जगह पत्थरकी इमारते खड़ी की गयीं । सबसे दी
गुखामी भी जञापा नसे सदाके लिए विदा हो गयी ।
१६३९ घिल्मे जापानको एक सारमे कोरियापर आक्रमण
करनेको बड़ा उत्थान प्रारस्भ इआ जो शीघ्र ही शाब्त हो
गया | इसी बध फार्मासा टापूम कुछ अद्दाजियोका एक दल
मेजा गया। पर पहोंके जड़ली लोगोंने कुछ जद्दाज़ियोको
मार डाला। उस समय फार्मोलापर चौनका शासन था।
इसी प्रसड़मे चौनसे फार्मोलाफे लिए तकरार छिड़ गयी।
झोर फलतः छौनकों लगभग २२ लाख रुपयेकी जतिपूर्ति
ऋरनी पड़ी। १६६० विब्में सात्सुमामें द्ोह पैदा हुआ जो
জলিল উট दृषा दिया श्या) सायगो शादि अनेक नेता इसमें
स्वतः या अपने চিএ হান হী লাক বাই कि० १९३५
छाकका प्रबन्ध बढ़ाया गया। १६३६ घिण्में छुसू द्वीपमाला-
को अधिकारमे किया गया। बि० १८७७मे मिकादोका जवराज्य-
सदूटन-विषयक प्रतिशषपत्र अकाशित हुआ और ऋगदे वषं
ही शिवाकोी आवश्यक घश दिया गया। १&७६ विल्मे नव-
शासनपद्धतिकी ध्यापना एइई ओर सबको अर्सब्रिषयक खत-
ब्च्रता दी गयी। अमरोका आदि देशोलसे फिरले सन्छियाँ
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