समवाय - सुत्तं | Samvay-suttam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चोवत्तरिमो समवाश्रो /चौहत्तरवां समवाय अग्निभूति की झायु, सीतोदा तथा सीता महानदी, नरकावास । १७२ पष्णतरिमों समवाझो/पचहत्तरवां समवाय सुविधि के केवली, शीतल-झौर णान्तिनाथ का गृहवास । १७३ छावत्तरिमो समवाश्रो / चिहृत्तरवां समवाय विद्युत्कुमार आदि भवनपतियों के ब्रावास । १७४ सत्तत्तरिमो समवाश्रो / सतहत्तरवां समवाय भरत चक्रवर्ती, अंगवंश के राजाश्रों कौ प्रत्रज्या, गर्दतोय तुषित लोकान्तिकों का परिवार, मृहूत्त-परिमाण । १७५ श्रहुसत्तरिमो समवाग्रो /श्रठत्तरवां समवाय वैश्मा लोकपाल, स्थविर अ्रकंपित, सुर्य-संचार से दिन रात्रि के विकास-ह्वास का नियम | १७६ एगुणासीदमो समवाश्रो/ उन्यासिवां समवाय रत्नप्रभा पृथ्वी से वलयामुख पाताल तथा श्रन्थ पातालों का भ्रन्तर, छठी पृथ्वी और घनोदधि का भ्रन्तर, जम्वूह्वीप के एक द्वार से दूसरे द्वार का अन्तर । १७७ श्रसीइइमो समवाश्रो /श्रस्सिवां समवाय श्रेयांस, त्रिपृष्ठ, भ्रचल की श्रवगाहना, त्रिपृष्ठ वासुदेव करा राजकाल, म्रप्‌-वहुल काण्ड की मोटाई, ईशानेन्द्र के सामानिक देव, जम्बूद्वीप में प्रथम मण्डल में सूर्योदय । १७८ एक्कासोइदमो समवाश्रो / इवयास्तिवां समवाय भिक्षुप्रतिमा, कुन्धु जिन के मनःपर्यवज्ञानी, व्याख्याग्नज्ञप्ति के महायुग्मशत । १६६ बासीतिदमो समवाग्रो / वयासिवां समवाय सूर्य-सचार, महावीर का गर्मापिहरण, महाहिमवन्त एवं रकम पर्वत के सौगंधिक काण्ड का अन्तर । १८० तेयासिइइमो समवाभश्रो /तिरासिवां समाय महावीर का गर्भापहार, शीतल जिन के गण श्रौर गणधर, मंडितयुत्र का आ्रायुष्य, ऋषम का गृहवासकाल, भरत राजा का गृहस्थकाल । १८१ चउरासिहदमो समवाझो /चौरासिवां समवाय नरकावास, ऋषभ, भरत, बाहुबली, ब्राह्मी, सुन्दरी, श्रेयांस की आयु, ९७




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