आत्मानंद प्रकाश | Aatmanand Prakash
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
68
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५
द्रो--र्चि० ॥१॥ प्रु चण जगतां स्वासीरे-चट
घटना अंतर आसीरे जग पुरिखादासा सुनानी-
चि० ॥:२.॥ प्रकुनासथकी निस्ताररे- भावे पामे
भवनो पाररे-- मिरे जनम सरण संसार--चे०
॥३॥ काम कुंभ घेलुमाभि रायारे-खुर इश्च समाजग
गायारे-- पिण फलमां अधिकछे दाया-जिं० ॥थ॥।
ঘলী অজ বাহ লাই সন पास पासते कापेरे-
অর जुक्ति पुरीसमा धापे--वि० ॥5५॥ सन वच् कांधाः
भवि पूनोर-दुनियासा देव न - दृजोरे-नासे राज
देष मन रूनो--र्चे० ॥ 8 ॥ बडोदा पपरा. सेस
पायारे-द्शन आतम रंग छायारें-करो चकछम हे
सवाया-चि० ॥७ _. -০হলি০--
श्री क्रशरायानाथ ऋषभसदव जन
रतवनम्
( चाल नाटक )
“ « प्रसिद्ध प्रताप जगतसें घणो-धयों नाथ केद .
. रीथाजी तणो। सुरा सुरनर पाति गुणने. गणो-नहीं `
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