प्रश्नोत्तर | Prasnottar
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रश्नोत्तर । १ ५
प्रश्--अखव ने जोव कष्टौ जे श्रथवा अजोव कष्टोजे ।
उन्तर--ठाणांगठढाणा २ जोवक्रियाना दोय भैद क्या समकित
क्रिया १ भिष्यात च्रियार् भगवती शःर२उः ५ मिष्या दृष्ट छे
भाव लेस्या ४ संज्ञानें अरुपी कहो तथा भगवतो शः १७ उः २
-अठारा पापं में वरत तेदहिज जोव कद्ठोजे तेडिज जोव आत्मा कच्चोजे
३ तथा ठाणांगठाणा ০ जीव परणासो रा १० सैंदा मैं कषाय
जोग लेस्था ने जोव क्या 8 तथा भगवत। शः १२ उः १० कषाय
मे श्रनेजोगने जोव श्रात्मा कष्टौ ५ तथा भगवतीशः १२८;
उटांण वाल वौ पुनषाकार पराक्रम मे अरूपो कड्या & तथा अनु
योग द्वार मे 8 कषाय ६ लेस्या मिष्या दृष्टो ३ वेद अधतो सयोगी ने
जोव उद्य निपन क्या अने वण, गन्ध, रस, फरस भे अजीव
उदय निपन कहा 9 उवा में अकुसल सन, वचन, रुधवो
कुसल सन्, वचन, उदीरणो क्यों ८ तथा अआवसग अने अनुयोग
चार सें जो ज्ञान सावद कहा ० तथा अनुयोग द्वार मे क्रोधादिक
अपस छे भाव योग অল अ्पस छे भाव भला कच्या १० तथा ठाणा-
गठाणा ० टीका में पांच जोव चार अजोव कह्या नंव पदारध में
११ तथा पणवणा पद १४ अथ में द्रव्य सन भाव सन कह्ना तिहां
नो इन्द्रीनो अथे विग्वह् ते भाव सन कहो १२: तथा ठाणांगठाणा
१ टोका द्रव्य योग भाव योग क्या १२ तथा भगवतों शः १३
उः १ अर्थं द्रव्य योग भाव मन क्या १४ उतराध्योयन श्रः ३४
गाः १ पच्च आखव कष्ण -लेस्या ना लक्तण क्या १५ कोड कहे
आश्व ने खपावणो क्ली तो जोव ने किम खपावै अनुयोग हारे
माढटाभावथो ज्ञान देन चारित्र खपे इम कच्लौ एक खपावणो
লাল ল্য रो छे तिम आश्वव ने खपावणो ते भमेटण रो द्रव्यादिक
अनेक ठाभे आश्रव ने जोव क्यौ अरूपो क्यौ । १९.
प्रश्र--संवर ने जोव कीजे का अ्रजीव-क डीजे 1
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