महाभारत के पात्र [ पहला भाग] | Mahabharat Ke Patr [ Pehla Bhaag]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हि राधेय #तुम्ह यह कहाँसे मिला ९? “तुम्हीं बताओ ९? “तुम्हारे हाथ में तो बालक है| भगवान ने सचमुच मेरे लिए यह खिलोना मेजा दै १ अधिरथ, यह स्वप्न तो नहीं है १ मेरी आँखें मुझे धोखा तो नहीं दे रही हैं ? देखो मुझे धोखा मत देना 1 “লহ नहीं | मेरे हाथ में यह बारूक है और इसे में तुम्हारे ही लिए लाया हूँ | यह छो |” राधा तो पागछ जैसी हो गई | उसने जल्दी से बाछक अपने हाथ में ले लिया। उसे अपनी छाती से चिपका लिया | उसका सिर सूधा, उसकी आँखों पर धीरे से चुम्मा लिया और उसके सारे शरीर पर अपना कोमल हाथ फेरा | “बेटा, तुने मेरे घर में उजाला कर दिया । इस अधेरे कमरे में दीया जला दिया है। बहन जाओ आज सारे मुहल्ले मे शकर बाँटो 1? “लेकिन अधिरथ यह तो बताओ कि तुम्हे यह मिला कहाँ से ९” राधा की बहन ने उत्सुकता से पूछा । “हाँ, हो, बेटा तू कहाँ से आया ९ बतावेगा ९” राधा ने लड से वाल्क की ओर देखकर प्रश्न किया | अधिरथ वोला--“में अभी शाम को नदी के किनारे घूम रहा था कि नदी कै प्रवाह मे मैने इ तरता हुषा देखा [” ^दे-क्या कडा ? इते किसीने वहा दिया था ९?




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