राधास्वामीगप्पदर्पण [प्रथम भाग] | Radha Swami Gappa Darpan [ Part 1]

Radha Swami Gappa Darpan [ Part 1] by आलाराम सागर सन्यासी - Aalaram Sagar Sanyasi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५ ) फिसीको धोखा -नष्ीं दते स्वोकि घेद्ग्दि प्रमाय भौर -युक््योंचेद्रुष्य पद्ष्यकौ चेद्‌ान्तौ लोग असत्यं जघ दख स्वष्प साधित करते हैं दुष्टा ब्रह्म को वेदान्ती छोग अपना स्वरूप और त्रिकाल _ अकब्ाच जानते हैं राचास्त्राली मत बाले अपने से भिन्न दूसरे को तलाश फरते हैं झंघनों लांगलनपाय से राधास्वासी मत वाले षी धं) खेन्ता जाल पोषा रहि & उसीौसे राधास्वामी मत वाले ही चोखेबाज हैँ डाकूरो से साबित है कि एक ट्सरेकी जुठन खानेसे रोग पदा छोता है परनन्‍्त राचा स्वामी मत बाले मम ठी चीज खाते हैं वेद्रन्तियोंकी मर ठी लिन्‍दा करने से बावू का सतलव यह है कि जीव दाभी परमेश्वर नहीं हो सकता । परन्तु उसके घिरूद्दु राधा स्वाभी बचनों की प्रोथी प० १२ पं० ३ दीं से उसो को प० ६६ पं १२वीं से उचो दी पृ० २३ पं० ११ यों से তন্বী জী पृ? ४५ पं० ८ दो से उसो की पु० ४१ पं० ९८ वीं से दाल के रूलोंका भसतलच यह है कि जो अभ्यास चरते वह सद्‌ ही न्क खदा भीर राधाखामी दो जाते ह परन्ल्‌ दलफदरो गोते स्वे रेख कटं दै सल्‌ ইল ই कि इस मतम राधास्वासीहीको त्र्य शौर खुद खुदा जिखा है राधास्वानौ चे-भिक्त इस मत




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