जागरणं | Jagranam

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Jagranam by शिव शरण वर्मा - Shiv Sharan Varma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शिव शरण वर्मा - Shiv Sharan Varma

Add Infomation AboutShiv Sharan Varma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
* * “मरत भूमि पुण्यशालिनी भरतभूमि की जय हो ! जय हो !! मन्दराचल, विन्ध्याचल, इन्द्रकोल, मलयगिरि, श्रीशैल, नीलाचल, एव पवंतरज हिमालय कौ शीतल समीर के हारा, समस्त तापी का हरण करने वाली भरतभूमि की जय हो १॥ सूर्यपुती यमुना, महानदी, शोणनद, सिन्धुनदी, एवं देवनदी भागीरथी गड्भा के अमृतोपम जल से अभिषिक्त शरीर वाली, लोकपावनी भरतभूमि की जय हो | २॥ अनेकों प्रकार के साथनों से युक्त, अखिल-शक्ति-मयी साक्षात्‌ दुर्गा-स्वस्पा, सज्जनो के पालन में तत्पर, एव दुष्टो का विनाश करने वाली भरतभूमि की जय हो ! ३॥ शौर्य, तपस्या, एवं त्याग से समन्वित, श्ञान्तिप्रिया, तेजस्विनी, क्षेम एवं प्रेम की मूर्ति, तथा जननीस्वरूपा মহা चौ उथ हो ५ ४ ७ जारण ड़




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now